लॉकडाउन में आयुष्मान योजना के आधे से भी कम लाभार्थी पहुंचे अस्पताल, योजना में 51 फीसद की आई गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार मोतियाबिंद के ऑपरेशन व घुटना प्रत्यारोपण आदि के लिए पहले से समय लिया जाता है। इन मामलों में 90 फीसद से अधिक गिरावट गिरावट आई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत औसतन साप्ताहिक दावों में 51 फीसद की गिरावट आई है। यानी, इस दौरान आधे से भी कम लाभार्थी इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के प्रकाशन 'पीएम-जेएवाई अंडर लॉकडाउन: एविडेंस ऑन यूटिलाइजेशन ट्रेंड्स पीएम-जेएवाई' में शोधकर्ताओं के समूह ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान 25 मार्च से दो जून तक निजी अस्पतालों के मुकाबले सार्वजनिक अस्पतालों की सेवाओं के उपयोग में गिरावट देखी गई। एनएचए आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) का क्रियान्वयन कराने वाली शीर्ष संस्था है।
प्रसव के मामलों में 26 फीसद की गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, 'मोतियाबिंद के ऑपरेशन व घुटना प्रत्यारोपण आदि के लिए पहले से समय लिया जाता है। इन मामलों में 90 फीसद से अधिक गिरावट गिरावट आई है। कार्डियोवैस्कुलर (हृदय) सर्जरी में भी भारी गिरावट आई है। प्रसव व कैंसर के इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में कमी खासतौर पर चिंता का विषय है। प्रसव के सभी प्रकार के मामलों में 26 फीसद की गिरावट दर्ज की गई।'
शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले सर्जिकल प्रक्रियाओं के लिए औसतन प्रति सप्ताह 62,630 दावे होते थे जो लॉकडाउन के दौरान कम होकर 27,167 रह गए। यानी, इन मामलों में 57 फीसद की गिरावट दर्ज की गई। इसके विपरीत मेडिकल मामलों में 46 फीसद की गिरावट आई है।