विवादित ढांचा विध्वंस मामले में फंसे नेताओं के पास ये है विकल्प
पुनर्विचार याचिका पर तभी विचार किया जाता है जब फैसले में स्पष्ट तौर पर कोई कानूनी खामी रह गई हो।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अयोध्या मामले में फैसले के खिलाफ नेता सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकते हैं। पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद नेताओं के पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का भी विकल्प है।
पुनर्विचार याचिका के लिए हालांकि कोर्ट के मानक पहले से तय हैं। पुनर्विचार याचिका पर तभी विचार किया जाता है जब फैसले में स्पष्ट तौर पर कोई कानूनी खामी रह गई हो। पुनर्विचार याचिका पर फैसला देने वाली पीठ के न्यायाधीश सर्कुलेशन के जरिये चैम्बर में विचार करते हैं। उसमें वकीलों की खुली अदालत में बहस नहीं होती। हालांकि हर याचिका के साथ खुली अदालत में सुनवाई की अर्जी दाखिल की जाती है।
अगर न्यायाधीशों को लगता है कि ये ऐसा मामला है जिसकी पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होनी चाहिए तब एक आदेश पारित कर उस मामले को खुली अदालत में सुनवाई के लिए लगाया जाता है। क्यूरेटिव याचिका पर पांच न्यायाधीशों की पीठ विचार करती है जिसमें दो न्यायाधीश मूल फैसला देने वाली पीठ के होते हैं जबकि तीन न्यायाधीश मुख्य न्यायाधीश सहित सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। क्यूरेटिव पर भी चैम्बर में सर्कुलेशन के जरिए विचार होता है। बहुत महत्वपूर्ण पाये जाने पर ही खुली अदालत में सुनवाई होती है। क्यूरेटिव के मानक भी तय हैं।
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