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सुप्रीम कोर्ट के जज चेलमेश्‍वर द्वारा उठाए गए मुद्दों पर वकील संघ गंभीर

जस्टिस चेलेमेश्वर ने 21 मार्च को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा को 6 पन्नों का पत्र लिखा और न्यायपालिका में सरकार के कथित दखल पर नाराजगी जताई।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 30 Mar 2018 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 30 Mar 2018 04:45 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के जज चेलमेश्‍वर द्वारा उठाए गए मुद्दों पर वकील संघ गंभीर
सुप्रीम कोर्ट के जज चेलमेश्‍वर द्वारा उठाए गए मुद्दों पर वकील संघ गंभीर

नई दिल्‍ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्‍टिस चेलमेश्‍वर द्वारा चीफ जस्‍टिस को लिखे गए पत्र में उठाए गए मुद्दे पर वकीलों की ओर से गंभीर चिंता जतायी गयी है। दरअसल, जस्टिस चेलेमेश्वर ने 21 मार्च को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा को 6 पन्नों का पत्र लिखा और न्यायपालिका में सरकार के कथित दखल पर नाराजगी जताई। इससे निपटने के लिए उन्‍होंने इसमें फुल कोर्ट बुलाने की बात कही। पत्र की कॉपी सुप्रीम कोर्ट के सभी 22 जजों को भेजी गई है।

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इससे पहले जस्टिस चेलमेश्वर ने ही सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों के साथ 12 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस की थी। इसमें कहा गया था कि देश की सर्वोच्च अदालत में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऑल इंडिया लायर्स यूनियन ने कहा, ‘जस्‍टिस चेलमेश्‍वर के पत्र में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्‍ति प्रक्रिया में केंद्र सरकार के सीधे तौर पर दखल की बात का खुलासा हुआ है। पत्र से यह स्‍पष्‍ट है कि न्‍यायपालिका की स्‍वतंत्रता खतरे में है।‘

बयान में कहा गया कि देश के सभी वकील जस्‍टिस चेलमेश्‍वर के पत्र से हुए इस नवीनतम खुलासे से चिंतित हैं जिसमें उन्होंने केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के एक मामले में जिला एवं सत्र न्यायधीश कृष्णा भट के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की जांच पर सवाल उठाए जबकि दो बार भट का नाम एलेवेशन के लिए कोलोजियम ने सुझाया था। उन्‍होंने आगे लिखा है, बेंगलुरु में कोई पहले ही हमें नीचे लाने में जुट गया है। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हमारी पीठ के पीछे सरकारी आदेशों को पूरा करने में ज्यादा ही तत्पर दिखाई दे रहे हैं।‘

जस्टिस चेलमेश्वर ने लिखा, ‘पिछले कुछ समय से अच्छा अनुभव नहीं रहा। सरकार हमारी अनुशंसाओं को मंजूर करें, ऐसा काफी कम हुआ। हमारी अनुशंसाओं को दबाकर बैठ जाना नियम बन गया है। असुविधा देने वाले लेकिन, काबिल न्यायधीशों की इस जरिए से उपेक्षा की जाती है।‘


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