Lockdown Effect: आर्थिक संकट से जूझ रहे वकीलों व क्लर्को की सुप्रीम कोर्ट से गुहार
कोरोना महामारी के दौरान अदालतें बंद होने से वकीलों को गैर अदालती कामकाज और कानूनी सलाह का विज्ञापन देने की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लॉकडाउन के कारण अदालती कामकाज बंद होने से वकीलों और उनके क्लर्कों के आगे गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल हुई हैं। एक याचिका में कोरोना महामारी के दौरान अदालतें बंद होने से वकीलों को गैर अदालती कामकाज और कानूनी सलाह का विज्ञापन देने की इजाजत दिए जाने और उसके लिए मौजूदा नियम-कानून में संशोधन की मांग की गई है।
दूसरी याचिका वकीलों का रोजाना का कामकाज देखने वाले क्लर्कों के एसोसिएशन ने दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट बार क्लर्क एसोसिएशन ने याचिका दाखिल कर जीवनयापन की दुहाई देते हुए अदालती कामकाज सामान्य होने तक 15,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता सरकार से दिलाए जाने की मांग की है।
गैर सरकारी संस्था नित्या लॉ सोसायटी के अध्यक्ष चरनजीत चंद्रपाल ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मांग की है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिलों को निर्देश दिया जाए कि वे मौजूदा नियमों में बदलाव करें और वकीलों को मार्च 2021 तक चैंबर कामकाज जैसे- आयकर, जीएसटी में मदद, सोसाइटी, ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन आदि कामों और कानूनी सलाह के लिए विज्ञापन और वाट्सएप मैसेज भेजने की इजाजत दी जाए।
मध्यमवर्गीय वकील गंभीर आर्थिक संकट में
कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण लागू लॉकडाउन में अदालतें बंद होने से वकील व विशेषकर मध्यमवर्गीय वकील गंभीर आर्थिक संकट में आ गए हैं। मालूम हो कि मौजूदा कानून में वकीलों को अपना विज्ञापन देने की इजाजत नहीं है। वकीलों का विज्ञापन कानून में मिसकंडक्ट माना जाता है। याचिका में और भी कई मांगे रखी गई हैं।