अदालत की अवमानना अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका ली गई वापस
अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 2(c)(i) के संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से ली गई वापस।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 2(c)(i) के संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को एन राम, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार को वापस ले लिया। तीन जजों की बेंच जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी ने आज मामले की सुनवाई की। याचिका में इस अधिनियम को असंवैधानिक बताया गया था साथ ही इसे संविधान की मूल संरचना के खिलाफ बताया गया। यह धारा कोर्ट की अवमानना अधिनियम 1971 के तहत कोर्ट को अपमानित करने या इसकी गरिमा को कम करने को लेकर आपराधिक अवमानना के अपराध से संबंधित है।
सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी कि याचिकाकर्ता अपनी अपील वापस लेना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि दो माह या उसके बाद इस मुद्दे को फिर से कोर्ट में पेश किए जाने की छूट दी जाए। इसके लिए कोर्ट की ओर से भी अनुमति दे दी गई है। बता दें कि एडवोकेट प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर टिप्पणी को लेकर दो आपराधिक अवमानना का सामना कर रहे हैं।
एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर को लेकर दो आपराधिक अवमानना का मामला है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाले बेंच के फैसले पर उन्होंने मीडिया में इंटरव्यू के दौरान पूर्व मुख्य जस्टिस के खिलाफ टिप्पणी की थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेकर प्रशांत भूषण द्वारा किए गए ट्वीट के खिलाफ कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था।
एन राम, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण के अनुसार, यह विधान द्वारा प्रदत्त बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समानता की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। इसमे साथ ही कोर्ट को अपमानित करने वाले बयान पर लागू होने वाली यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करार दिया गया था। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट अदालत की अवमानना अधिनियम 1971 के कुछ प्रावधानों को रद कर दे।