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Law to protect journalists: छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनेगा कानून

पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता में समिति बनाई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:55 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 08:06 AM (IST)
Law to protect journalists: छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनेगा कानून
Law to protect journalists: छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बनेगा कानून

 रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जल्द ही कानून बनाया जाएगा। इसके लिए प्रारूप तैयार हो गया है। कानून बनाने के लिए गठित समिति के सदस्य अब प्रदेश के विभिन्न अंचलों का 16 से 18 नवंबर तक दौरा कर पत्रकारों, पत्रकार संगठनों और आमजनों से चर्चा कर सुझाव लेंगे। राज्य सरकार का दावा है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की दिशा में बढ़ने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है।

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पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता में समिति बनाई है। समिति ने अपनी तरफ से प्रारूप तैयार कर लिया है, लेकिन उस पर पत्रकारिता से जुड़े लोगों से सुझाव लिए जाएंगे, ताकि संशोधन की आवश्यकता पड़ी, तो उन्हें अभी कर लिया जाए।

प्रस्तावित पत्रकार सुरक्षा कानून का प्रारूप हिंदी और अंग्रेजी में जनसंपर्क संचालनालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। कानून का प्रारूप बनाने वाली समिति में उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश अंजना प्रकाश, उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता राजूराम चंद्रन, महाधिवक्ता छत्तीसगढ़, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव वित्त, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रुचिर गर्ग, ललित सुरजन, प्रकाश दुबे भी शामिल हैं।

जानें- क्या है इस कानून में

प्रताड़ना, धमकी, गलत मुकदमा और गिरफ्तारी के मामलों में सुनवाई प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार इसे छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी संरक्षण अधिनियम कहा जाएगा। इस अधिनियम के लागू होने के 30 दिन के भीतर भूपेश बघेल सरकार राज्य स्तर और प्रत्येक जिले में कमेटियों का गठन करेगी। राज्य स्तरीय कमेटी मीडियाकर्मियों की प्रताड़ना, धमकी, गलत मुकदमा दर्ज कराने और गिरफ्तारी के मामलों की शिकायत सुनेगी।

प्रारूप के मुताबिक कमेटी में एक पुलिस अधिकारी को सम्मलित किया जाएगा, जोकि एडीजीपी (अतिरिक्त महानिदेशक) के पद से नीचे का नहीं होगा। जनसंपर्क कार्यालय के मुखिया के साथ ही तीन मीडियाकर्मियों को कमेटी में शामिल किया जाएगा, जो कम से कम 12 साल से पत्रकारिता कर रहे हों। इसमें एक महिला कर्मचारी होगी। जिलों में जोखिम प्रबंधन (रिश्क मैनेटमेंट) शाखा का भी गठन किया जाएगा, जोकि राज्य स्तरीय कमेटी की देखरेख में कार्य करेगी।


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