लव जिहाद कानून: किन राज्यों में और क्या हो रहा है बदलाव, क्या फैमिली कोर्ट के पास होगा शादी खत्म करने का अधिकार
लव जिहाद के बढ़ते मामलों को देखते हुए कुछ राज्य इसके खिलाफ सख्त कानून लाने की कवायद कर रहे हैं। हरियाणा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने इस तरफ कदम बढ़ा लिया है जबकि दूसरे भाजपा शासित राज्य भी इस पर विचार कर रहे हैं।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। लव जिहाद का मामला देश के विभिन्न राज्यों में एक बार फिर से तूल पकड़ रहा है। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों में इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की तरफ कदम भी बढ़ा दिया है तो कुछ इस राह पर आगे चल रहे हैं। हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इसको लेकर जबरदस्त पहल की गई है। कुछ ही दिन पहले हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा था कि इस तरह के कानून का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि हरियाणा से पहले इस ओर उत्तर प्रदेश कमद बढ़ा चुका है। इसका एलान करते हुए यूपी के मुख्समंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में कहा था कि इसके बाद बहन, बेटियों की इज्जत से खेलने वालों का अंत हो जाएगा। उन्होंने ये भी कहा था कि केवल शादी करने के लिए धर्म को बदलना किसी भी सूरत से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। न ही इस तरह के कृत्य को मान्यता दी जानी चाहिए।
सियासी बयानबाजी
हालांकि योगी के इस बयान पर सियासी बयानबाजी भी काफी तेज हुई थी। इस फैसले के खिलाफ सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल थे। उन्होंने इसको गलत बताते हुए कहा कि ये भारतीय जनता पार्टी की लोगों को बांटने की साजिश है। इसको लेकर सीएम गहलोत ने ट्वीट भी किए थे। उनका कहना था कि इस तरह का कोई भी कानून अदालत में मान्य नहीं होगा। वहीं दूसरे कांग्रेसी नेता नेता शशि थरूर का कहना है कि राज्य सरकारों को प्यार करने के खिलाफ नहीं बल्कि नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कानून लाना चाहिए। हरियाणा और यूपी में बनाए जाने वाले इस प्रस्तावित कानून में 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश की कवायद
हरियाणा और मध्य प्रदेश की ही तरह दूसरे भाजपा शासित राज्यों में भी इस तरह की कवायद तेज होती दिखाई दे रही है। इसमें असम और कर्नाटक का नाम भी शामिल है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो वहां हुए विधानसभा उपचुनाव से एक दिन पहले ही इसका एलान किया था। राज्य के गृहमंत्री के मुताबिक इसके लिए सरकार विधानसभा में धर्म स्वतंत्र विधेयक 2020 लाएगी। इसको आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इस कानून के तहत गैर जमानती धाराओं में कार्रवाई की जा सकेगी। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन करवाने वाले और जबरन शादी करवाने वाले आएंगे। इसके अलावा गलत जानकारी देकर, बहला-फुसलाकर और धोखे से शादी करने वाले भी इसकी जद में आएंगे। दोषी पाए जाने पर शादी को अमान्य करार दिया जाएगा।
एक नजर में ऐसा होगा कानून
इसके अलावा इस तरह के अपराध के पीडि़त व्यक्ति या उसके अभिभावक शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। मामला दर्ज होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी संभव हो सकेगी। इस मामले में आरोपी को कोर्ट से जमानत लेनी होगी। इस तरह के मामलों में आरोपी के सहयोगियों पर भी समान धाराओं में मुकदमा चलाया जा सकेगा। मर्जी से धर्म परिवर्तन करने वाले को पहले कलेक्टर के सामने आवेदन करना होगा।
क्या कहते हैं जानकार
विभिन्न राज्यों द्वारा इस ओर की जा रही कवायद पर कानूनी जानकार मानते हैं कि जब तक कोई कानून पूर्ण रूप से सामने नहीं आ जाता है तब तक उस बारे में बात करना मुश्किल होगा। हालांकि मौजूदा काूनन में किसी भी शादी को मान्य या अमान्य करने का हक फैमिली कोर्ट को हासिल है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एपी सिंह का कहना है कि इस तरह के कानून पहले से ही उत्तराखंड समेत कुछ राज्यों में मौजूद हैं। लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की वजह से उन्हें सही तरह से लागू नहीं किया जा सका है। उनके मुताबिक आईपीसी में इसको लेकर पहले से ही पूरे अधिकार दिए गए हैं। उनका ये भी कहना है कि राज्यों को एक्ट बनाने का अधिकार है। इसको ऊपरी अदालत में चैलेंज भी किया जा सकता है। हालांकि राज्यों के एक्ट बनाने में वो इसके तहत फैमिली कोर्ट को लाते हैं या नहीं, या इस कोर्ट को कितने अधिकार देते हैं ये राज्य पर निर्भर है।