केरल में लेटिन कैथोलिक चर्च ने महिलाओं और युवतियों के पैर धोने की रस्म अदा की
कोडंगल्लूर के पास कोट्टापुरम में बिशप जोसफ कारिक्कासेरी ने सेंट माइकल कैथेड्रिल में अलग-अलग पीढ़ी की महिलाओं के पैर धोएं जिसममें एक कुंवारी, एक नन, बुजुर्ग और दिव्यांग महिला शामिल थी।
कोच्चि। केरल में लैटिन कैथोलिक चर्च ने पोप फ्रांसिस के आदेश का पालन करके इतिहास रच दिया है जिसमें महिलाओं और युवा लड़कियों के पैर धोने की रस्म करने को कहा गया था। जहां अनुयायी चर्च इसके लिए हिचकते रहे, वहीं लैटिन कैथोलिक चर्च ने गुरुवार को पवित्र मास के दौरान राज्य में अपने विभिन्न चर्चों में यह रस्म अदा की।
तिरुवनंतपुरम के लैटिन कैथोलिक डायोसीस के आर्कबिशप एम सूसई पाकिअम ने कहा कि 'ईश्वर के सभी लोग' जिसमें महिलाएं भी शामिल है, वार्षिक अनुष्ठान का प्रतिनिधित्व करेगी जो कि 'प्रेम और नम्रता' का प्रतीक है।
तिरुवनंतपुरम में सूसा पाकिअल ने सेंट जोसेफ कैथेड्रल में छह महिलाओं के पैर धोए जिसमें चर्च में विभिन्न सभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली दो दिव्यांग और चार नन शामिल थी। वे कहते हैं 'हमारा मिशन पोप के निर्देश लागू करना है और साथ ही सभी कैथोलिक चर्च में इसका पालन किया जाएगा। यह संभव नहीं है कि इसकी शुरुआत तब करें जब सौ प्रतिशत जागरूकता आए।'
समय के साथ कई बदलावों से गुजरे इस रस्म के इतिहास के बारे में वे कहते हैं कि जीसस ने है दूसरों के सेवक बनकर हमें बताया है कि कोई किस तरह नम्र और सरल रह सकता है। रस्म में पोप ने दो बड़े बदलावा यह किए है कि इसमें महिलाओं को शामिल किया है, विशेष रूप से कमजोर और अनाथ और यहां तक कि अपराधियों को भी।'
त्रिक्काकरा में ब्लेस्ड सेक्रामेंट चर्च में 12 महिलाओं के पैर धोए गए जो कि जीसस के शिष्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। पुजारी जोस वलिकोदाथ ने कहा 'समाज तेजी से बदल रहा है और एक धार्मिक संस्थान के रूप में हमें बहुत अधिक समावेशी होना चाहिए। पोप ने हमें सही मार्गदर्शन दिखाया है और मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में ओर भी चर्च इसका पालन करेंगे।'
कोडंगल्लूर के पास कोट्टापुरम में बिशप जोसफ कारिक्कासेरी ने सेंट माइकल कैथेड्रिल में अलग-अलग पीढ़ी की महिलाओं के पैर धोएं जिसममें एक कुंवारी, एक नन, बुजुर्ग और दिव्यांग महिला शामिल थी।
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