ICHR के रिसर्च पेपर में मोहन जोदड़ो की नृत्यांगना को बताया पार्वती
आइसीएचआर की ओर से ऐतिहासिक शोध के प्रकाशन के लिए शुरू की गई छमाही पत्रिका 'इतिहास' के ताजा अंक में यह दावा किया गया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) के प्रकाशन में दावा किया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान लोग शिव की उपासना करते थे। इसमें पद्मासन में बैठी आकृति को शिव और नृत्यांगना की आकृति को पार्वती बताया गया है।
आइसीएचआर की ओर से ऐतिहासिक शोध के प्रकाशन के लिए शुरू की गई छमाही पत्रिका 'इतिहास' के ताजा अंक में यह दावा किया गया है। इसमें छपे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर ठाकुर प्रसाद वर्मा के लेख में बताया गया है कि वैदिक सभ्यता के दौरान बहुत से ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिससे साबित होता है कि उस दौरान लोग शिव की उपासना करते थे।
'वैदिक सभ्यता के पुरातत्व' शीर्षक से प्रकाशित इस लेख के मुताबिक पद्मासन में बैठी सिंग वाली आकृति भगवान शिव की है। इसके चारों ओर विभिन्न जानवर मौजूद हैं। साथ ही कुछ मानव आकृतियां भी दिखाई देती हैं। आकृति की मौजूदगी से यह भी साबित होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान शिव पूजा होती थी। साथ ही उनका कहना है कि 2500 ई. पू. की मानी जाने वाली इस सभ्यता के विभिन्न कलात्मक अवशेषों में भी ऐसे कई सबूत मिलते हैं। उन्होंने नृत्यांगना की मशहूर आकृति को देवी पार्वती बताया है। माना जा रहा है कि नृत्य करती महिला की आकृति को ले कर पहली बार किसी सरकारी मंच से ऐसा दावा किया गया है।
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परिषद का कहना है कि इसने मौलिक ऐतिहासिक शोध को बढ़ावा देने के लिए हिंदी में इस छमाही पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया है। 13 मई, 2015 को हुई इसकी संपादकीय समिति की बैठक में तय किया गया था कि इसमें मौलिक शोध प्रकाशित किए जाएंगे। साथ ही लेखों को संपादकीय बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद प्रकाशन से पहले विशेषज्ञों को भी विचार के लिए भेजा जा सकता है। हालांकि इस संबंध में जब परिषद के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने फिलहाल इस पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। परिषद केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के तहत ऐतिहासिक शोध की शीर्ष संस्था है।