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धरती की ‘गागर’ भरी, लहलहाईं खुशियां, जल संरक्षण की नजीर बना ये गांव

बुंदेलखंड के काकुन गांव में साठ बीघे में बनाए 7 तालाब, दो वर्ष में बीस फीट ऊपर उठा जलस्तर, मिलकर सहेज रहे बारिश की बूंदें, जल संरक्षण की नजीर बना गांव

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 24 May 2018 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 07:23 AM (IST)
धरती की ‘गागर’ भरी, लहलहाईं खुशियां, जल संरक्षण की नजीर बना ये गांव
धरती की ‘गागर’ भरी, लहलहाईं खुशियां, जल संरक्षण की नजीर बना ये गांव

महोबा [अजय दीक्षित]। बुंदेलखंड में आने वाले महोबा, उत्तरप्रदेश के चरखारी क्षेत्र का काकुन गांव दो वर्ष पूर्व तक सूखे का दंश झेल रहा था। बारिश कम होने और अत्यधिक दोहन की वजह से भूजलस्तर पाताल की ओर जा रहा था। किसान सूखती-चटकती धरती देख तड़पकर रह जाते थे। हालात भयावह थे, लेकिन कोई उपाय नजर नहीं आता था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। सूखे खेतों में फसलें लहलहा रही हैं। यहां जल संरक्षण के लिए किया गया लोगों का प्रयास नजीर बन गया है।

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बदल गई सूरत

जब लोगों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा था, ऐसे में उम्मीद की किरण बनकर आए दर्शनशास्त्र से पीएचडी और बीएचयू में सेवाएं दे चुके धर्मेंद्र मिश्र। अपनी और किसानों की जमीन पर तालाब खोदवाए और बारिश की बूंदों को सहेजकर धरती की गागर भरी। एक वर्ष में ही हालात बदलने लगे। अस्सी फीट तक जा पहुंचा जलस्तर अब साठ फीट तक आ गया है। इस बार बारिश ठीक हुई तो जलस्तर के और ऊपर उठने की उम्मीद है। अब किसानों के चेहरों पर मुस्कराहट है। काकुन के साथ ही कीरतपुरा, पाठा, सिजौरा, नटरा, अतरौली समेत करीब आधा दर्जन गांवों में जलस्तर ऊपर उठा है।

साठ बीघा में सात तालाब

यहां साठ बीघा जमीन पर सात तालाब खोदे गए हैं। बारिश के दौरान इनमें पानी संरक्षित होता है। इसी पानी से सिंचाई होती है। पानी कम लगे इसके लिए ड्रिप पद्धति अपनाई जाती है। पाइप लाइन, फिल्टर और प्रेशर मोटर भी लगी है। परिसर में अन्य हिस्सों पर बागवानी तैयार की गई है।

चालीस फीट गहरा तालाब

धर्मेंद्र ने खुद तीस मीटर लंबाई-चौड़ाई का चालीस फीट गहरा तालाब बनवाया है। बारिश का पानी इसमें संरक्षित होने के बाद जलस्तर और बढ़ेगा। एक तरह से यह कुआं का भी काम करेगा। इसमें मोटर लगाकर आसपास किसानों को पानी देंगे ताकि उन्हें फसलों की सिंचाई के लिए किसी का मुंह नह ताकना पड़े।

लगाए गए ये संयंत्र

जल संरक्षण के अभियान में दो सौ फीट बोरिंग का पाइप, एक प्रेशर मशीन, दस हार्स पावर की मोटर, खेत से तालाब तक लाइन के लिए ड्रिप वाले आठ सौ फिट लंबे तीन इंची पाइप, तालाब की खोदाई के लिए एलएनटी मशीन।

ऐसे भरते हैं तालाब

जिले में खासकर इलाके में बारिश न होने की स्थिति में बांध में आकर मिलने वाले नाले से बहकर आने वाला पानी किसानों द्वारा बनवाए गए तालाबों में भरता है। तालाबों में जमा हुआ पानी ही सिंचाई व किसानों की जरूरत में काम आता है। सभी तालाबों को इस बार गहरा कराया जा रहा है। औरों को भी जागरूक कर रहे काकुन गांव के लोग चरखारी क्षेत्र के काकुन गांव के लोग अब धर्मेंद्र के साथ मिलकर अपने गांव की ही नहीं आसपास के गांवों की भी चिंता कर रहे हैं। वे अन्य गांवों में जाकर किसानों और छात्रों को बारिश का पानी सहेजने के तरीके व उसकी अहमियत बताते हैं। किसानों और ग्रामीणों को अपने गांव में बुलाकर यहां विकसित की गई जल संरक्षण प्रणाली के बारे में समझाते हैं। 


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