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'हमने कुछ नहीं छुपाया है, जांच के नतीजों का इंतजार'

विवादित भूमि सौदे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने शुक्रवार को कहा कि हमने कुछ नहीं छुपाया है। उन्होंने ने अपने फेसबुक एकाउंट में लिखा कि मैंने और मेरे से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में कुछ भी नहीं छुपाया है। हम उम्मीद करते हैं

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Fri, 15 May 2015 01:11 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2015 01:21 PM (IST)
'हमने कुछ नहीं छुपाया है, जांच के नतीजों का इंतजार'

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विवादित भूमि सौदे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने शुक्रवार को कहा कि हमने कुछ नहीं छुपाया है।

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उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट में लिखा कि मैंने और मेरे से जुड़े किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में कुछ भी नहीं छुपाया है। हम उम्मीद करते हैं इसकी जांच में कोई राजनीति नहीं होगी। हमें नतीजों का इंतजार रहेगा।

गौरतलब है कि वाड्रा की कंपनी के जमीन सौदों की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया है। संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाने वाले विशेष जज रह चुके जस्टिस एसएन ढींगरा वाड्रा की कंपनी के भूमि सौदों की जांच करेंगे। जस्टिस ढींगरा दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश हैं। उन्हें छह माह के भीतर राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।

हरियाणा सरकार ने जस्टिस ढींगरा को गुडग़ांव के सेक्टर 83 में टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा कामर्शियल कालोनी विकसित करने के लिए दिए गए लाइसेंस में बरती गई अनियमितताओं की जांच सौंपी है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक गुडग़ांव के सेक्टर 83 में 2.701 एकड़ भूमि के आवंटन में नियमों को दरकिनार किया गया था। कैग ने भूमि आवंटन पर अपनी रिपोर्ट में कई सवाल उठाए हैं। कैग की रिपोर्ट के अनुसार कुल 63.40 एकड़ भूमि प्राइवेट डेवलेपर्स को दी जानी थी। इसके लिए 14 आवेदन आए और उनमें वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हास्पिटेलिटी सबसे आखिरी 14वें नंबर पर थी।

वाड्रा की कंपनी के आवेदन पर विचार करने के लिए भूमि आवंटन का क्षेत्र भी बढ़ाकर 71.202 एकड़ किया गया। इसमें ग्रीन बेल्ट की भूमि भी शामिल है। ग्रीन बेल्ट और सेक्टर रोड का क्षेत्र योजनाबद्ध एरिया में शामिल नहीं किया जा सकता। स्काइलाइट हास्पिटेलिटी के मामले में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने आंतरिक रोड और हरित पट्टी के अधीन क्षेत्र को सम्मिलित कर लिया। वाड्रा की कंपनी को मिले लाभ के बाद दो और कंपनियों के मामले में भी हुड्डा सरकार को नियम दरकिनार करने पड़े थे। यह बात कैग ने अपनी रिपोर्ट में मानी है।

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