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नक्सलियों के गुरिल्ला वार का मुंहतोड़ जवाब देंगी बस्तरिया बटालियन की मर्दानी

केंद्रीय गृहमंत्रालय की रिपोर्ट में बस्तर में सबसे ज्यादा नक्सली हमले सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में हो रहे हैं। बस्तरिया बटालियन के जवानों को भी इन्हीं तीनों जिलों में तैनात किया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 11:40 AM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 11:48 AM (IST)
नक्सलियों के गुरिल्ला वार का मुंहतोड़ जवाब देंगी बस्तरिया बटालियन की मर्दानी
नक्सलियों के गुरिल्ला वार का मुंहतोड़ जवाब देंगी बस्तरिया बटालियन की मर्दानी

रायपुर [मृगेंद्र पांडेय]। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गुरिल्ला वार का जवाब अब उनकी मांद में घुसकर बस्तरिया बटालियन की मर्दानी देंगी। सीआरपीएफ की बस्तरिया बटालियन की पहली खेप में 189 महिला जवान फुलप्रूफ ट्रेनिंग के बाद नक्सल मोर्चे पर उतरने को तैयार हैं। पहले बैच के 543 जवानों की पासिंग आउट परेड 21 मई को अंबिकापुर में सीआरपीएफ कैंप में होगी।

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सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने बताया कि ये जवान सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों के हैं। स्थानीय होने के कारण इन जवानों को नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले अबूझमाड़ की भौगोलिक स्थिति का पूरा ज्ञान है। ऐसे में स्थानीय लड़ाकों की जानकारी और सीआरपीएफ जवानों के जज्बे के सामंजस्य से नक्सलियों की कमर तोड़ने में सफलता मिलेगी।

केंद्रीय गृहमंत्रालय की रिपोर्ट में बस्तर में सबसे ज्यादा नक्सली हमले सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में हो रहे हैं। बस्तरिया बटालियन के जवानों को भी इन्हीं तीनों जिलों में तैनात किया जाएगा। वर्ष 2017 में फोर्स और नक्सलियों के बीच 171 मुठभेड़ हुई, जिसमें 90 माओवादी मारे गए और 926 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नागा बटालियन की तर्ज पर बस्तरिया बटालियन बनाने का सुझाव दिया था, जिसे केंद्रीय गृहमंत्रालय ने मार्च 2016 में स्वीकार करते हुए भर्ती प्रकिया शुरू की थी। छत्तीसगढ़ सरकार का मानना है कि स्थानीय युवाओं के फोर्स में आने से आदिवासियों के बीच एक बेहतर संदेश जाएगा और नक्सलवाद की ओर से उनका रुझान कम होगा। आदिवासियों को सरकार के साथ लाने में भी ये लड़ाके काम करेंगे, जिससे बस्तर में शांति आएगी।

आदिवासियों की ही होगी बस्तरिया बटालियन में भर्ती

बस्तरिया बटालियन में 33 फीसदी युवतियों की भर्ती होगी। ये भर्ती केवल अनुसूचित जनजाति के लिए है। इनका वेतन सीआरपीएफ के जवानों के बराबर 30 से 35 हजार रुपये के बीच होगा। पहले पांच साल तक ये जवान बस्तर में ही सेवा देंगे। बाद में इनकी पोस्टिंग देश के अन्य हिस्सों में की जा सकती है। बस्तरिया बटालियन का नंबर 241 होगा। 


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