लद्दाख: पर्यटकों के लिए मसीहा बनी सेना, हिमस्खलन में फंसे 81 सैलानियों को बचाया
लद्दाख में प्रतापपुर से तुरतक के बीच भारी बारिश होने से भूस्खलन हो गया जिससे उनके वाहन आगे नहीं जा पाए। बुधवार को पहुंचे ये लोग श्योक घाटी की ओर जा रहे थे जहां कोई आबादी नहीं है।
जम्मू, जेएनएन। बर्फीले रेगिस्तान को करीब से देखने के लिए लेह आए 81 पर्यटकों के लिए सेना मसीहा बन गई। खून जमाने वाली ठंड में ये पर्यटक प्रतापपुर व तुरतक में भूस्खलन की चपेट में आ गए थे। सेना समय पर कार्रवाई न करती तो इन पर्यटकों के लिए ठंड का सामना करना मुश्किल हो जाता।
सियाचिन के निकट पहुंचे ये पर्यटक चांगमार व बुकदांग गांवों के पास खराब मौसम के कारण फंस गए। प्रतापपुर से तुरतक के बीच भारी बारिश होने से भूस्खलन हो गया, जिससे उनके वाहन आगे नहीं जा पाए। बुधवार को पहुंचे ये लोग श्योक घाटी की ओर जा रहे थे, जहां कोई आबादी नहीं है।
पर्यटकों के दल में महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। दुर्गम हालात में हुए इस भूस्खलन के बारे में जानकारी मिलते ही सेना की सियाचिन ब्रिगेड हरकत में आ गई। सैनिकों के दल को बचाव अभियान चलाने के लिए मौके पर भेज इन पर्यटकों को बचाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।
इन पर्यटकों को उनके वाहनों से निकाल कर सुरक्षित जगह पर पहुंचाकर, कड़ी ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद उन्हें रात में रुकने के लिए सेना की एक चौकी तक पहुंचा कर उनके खाने-पीने का बंदोबस्त किया गया।
ये पर्यटक पश्चिम बंगाल, गुजरात व अन्य कई राज्यों से यहां घूमने के लिए आए थे। बाद में पर्यटकों को लेह पहुंचाने का भी बंदोबस्त किया गया। पर्यटकों ने उनकी जान बचाने के लिए सेना का आभार जताया और लद्दाख में सेना के योगदान की भी सराहना की।
14 बकरवालों को भी बचाया
बुधवार को लद्दाख की मुश्कोह घाटी में 14 बक्करवाल हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। ये लोग अपने मवेशियों को चराने के लिए इस क्षेत्र में आए थे। उन्होंने वहां पर अपना अस्थायी डेरा बनाया था। अचानक हिमस्खलन होने से वे उसके नीचे दब गए। बाद में सेना को जब पता चला कि बकरवालों के डेरे हिमस्खलन होने से बर्फ के नीचे दब गए हैं तो अभियान चलाकर सभी को सेना ने सुरक्षित निकाला। इसके बाद उनको मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया।
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