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Kumbh Mela 2019: आंखों देखी, पहले भी कुंभ नहाने आ चुका हूं; लेकिन ऐसा पहली बार...

Kumbh Mela 2019 दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं का संगम। अंजुरी में संगम का पवित्र जल लिए लाखों-लाख हाथ। भगवान वेणी माधव का स्मरण और मोक्ष की कामना।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 12:16 PM (IST)
Kumbh Mela 2019: आंखों देखी, पहले भी कुंभ नहाने आ चुका हूं; लेकिन ऐसा पहली बार...
Kumbh Mela 2019: आंखों देखी, पहले भी कुंभ नहाने आ चुका हूं; लेकिन ऐसा पहली बार...

मदन मोहन सिंह, कुंभनगर। अद्भुत! पौष पूर्णिमा का ब्रह्मामुहूर्त। सर्दियाई चांदनी पूरब से गेरुआ चादर ओढ़ती जा रही थी। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आकार ले रहे थे दो और संगम। चंद्रमा और सूर्य का संगम। दुनियाभर से आए श्रद्धालुओं का संगम। अंजुरी में संगम का पवित्र जल लिए लाखों-लाख हाथ। भगवान वेणी माधव का स्मरण और मोक्ष की कामना।

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पौष पूर्णिमा का स्नान तो रविवार की मध्यरात्रि से ही शुरू हो गया था, लेकिन श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा भोर में चार बजे के बाद। इस बार भीड़ का चेहरा मकर संक्रांति के शाही स्नान से कुछ अलग था। तब संत, महंत और नागा साधु आकर्षण का केंद्र थे। इस बार कल्पवासी और सिर-कांधे पर गठरी लिए 'जय गंगा मइया, जय जमुना मइया' गुनगुनाती भीड़। कोई बेटा थरथराती बूढ़ी माई का हाथ पकड़े भरोसा दिला रहा था-'चल माई संगमवा अब आइए गइल बा।' डुबकी लगाने तक की ही है ठंड, उसके बाद सर्दी अपने आप भाग जाएगी-ढांढस बढ़ाता जीवन साथी। इसके साथ ही संगम में पुण्य की डुबकी और फूल-अक्षत से भरी कागज की नाव का अर्पण।

इसके बाद शुरू होता रहा वापसी का सिलसिला और खुलती दान की पोटली। पंडितों को कोई अंजुरी से चावल दान कर रहा था तो कोई वस्त्रादि भेंट कर रहा था। 'कुछ द्रव्य भी रख देते यजमान' की टोकाटाकी के साथ पंडित जी माथे चंदन लगा देते और लोग प्रणाम कर आगे बढ़ते जा रहे थे। जितने लोग पुण्यलाभ कमाकर जा रहे थे उससे ज्यादा फिर संगम पर आबाद हो जा रहे थे। कोई कहता इस बार भीड़ कम है तो बगल से दलील आ जाती-'इस बार स्नान घाट कितना बड़ा है, यह नहीं देखते। जिधर देखो लोग ही लोग नजर आ रहे हैं, एक-दो किलोमीटर तक। इस पार नहीं, उस पार भी।'

इसी भीड़ में शामिल प्रयागराज के ही डांडी निवासी हौसला प्रसाद भीगे बदन ठंड से कंपकंपाते हुए कपड़े बदल रहे थे और ईश्वर को धन्यवाद दिए जा रहे थे कि उन्हें पौष पूर्णिमा पर कुंभ में स्नान का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दिल्ली के सुभाष अग्रवाल एक न्यूज चैनल को बाइट दे रहे थे-'पहले भी कुंभ नहाने आ चुका हूं। ऐसी व्यवस्था, इतनी सफाई पहले कभी नहीं देखी।' लगे हाथ मोदी-योगी सरकार को बधाई दिए जा रहे थे।

अमेठी से आए मौनी महाराज राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा यत्‍‌न न किए जाने को लेकर शिकायतों की झड़ी लगाए पड़े थे। इस बीच बिहार के दरभंगा में कन्हैया मिश्र का पोखर निवासी राजेश झा पूछ रहे थे-'स्नान तो हो गया, अब संतों का दर्शन कैसे होगा।' तुरंत मशविरा भी मिल गया-'पांटून पुल से उस पार जाइए। सारा मेला तो उधर ही है। सभी अखाड़े-खालसे और सभी संत-महंत वहीं विराजमान हैं।'

इस तरह भीड़ का रेला त्रिवेणी रोड होते हुए शहर की ओर और पांटून पुल से अखाड़ों की तरफ बंटता रहा। फिर बुलाना गंगा मइया..की कामना करते हुए। कल्पवासी लौट रहे थे अपने डेरों की ओर मन में जप-तप की रूपरेखा बनाते हुए। सोमवार से शुरू कल्पवास माघी पूर्णिमा तक चलेगा।

खास बातें-

1.07 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया महास्नान

-5.5 किमी के दायरे में बनाए गए थे 35 स्नान घाट

-09 प्रवेश मार्ग से कुंभ मेला क्षेत्र में दिया गया प्रवेश

-25 हजार सफाई कर्मियों ने सफाई की संभाली व्यवस्था

-1.10 लाख वाहन 95 पार्किंग स्थलों में खड़े किए गए

-20 हजार क्षमता के पांच यात्री निवास रात में ही हो गए थे फुल

-22 पांटून पुल भोर से ही हो गए थे खचाखच

-55 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे सुरक्षा में

-03 करोड़ स्नानार्थियों के मौनी अमावस्या पर आने की उम्मीद


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