बिटक्वाइन के जरिये ड्रग्स बेचता था कोलकाता का इंजीनियर, गिरफ्तार
ड्रग को खरीदने के लिए कैश डिपोजिट मशीन के जरिये निलय ऋदम के खाते में रुपये जमा करता था। इसके बाद ऋदम 'डार्क वेब' के जरिये बिटक्वाइन से इन मादक पदार्थों का ऑर्डर कर देता था।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। अभी तक बिटक्वाइन केवल इंटरनेट की मुद्रा समझी जाती रही है। अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित नकारात्मक प्रभाव की आशंका से पूरी दुनिया इसका तोड़ निकालने में जुटी है। इस बीच कोलकाता के एक ऐसे इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया है जो बिटक्वाइन के जरिये ड्रग्स बेचता रहा है। उसका नाम ऋदम दास राय है। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की कोलकाता शाखा ने उसे सोमवार शाम बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है। उसने मनिपाल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्ट इंजीनिय¨रग की पढ़ाई की है।
इस बारे में एनसीबी के कोलकाता के क्षेत्रीय निदेशक दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि गत वर्ष 12 दिसंबर को एलएसडी (ड्रग्स) की 148 टैबलेट्स और 26.6 ग्राम एमडीएमए नाम के ड्रग्स की तस्करी के आरोप में निलय घोष और जेरोम वाटसन नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। ये विभिन्न कॉलेजों समेत देश भर में इस ड्रग्स की तस्करी करते थे। पूछताछ के बाद निलय की निशानदेही पर ऋदम को गिरफ्तार किया गया है।
पता चला है कि उक्त ड्रग को खरीदने के लिए कैश डिपोजिट मशीन के जरिये निलय ऋदम के खाते में रुपये जमा करता था। इसके बाद ऋदम 'डार्क वेब' के जरिये बिटक्वाइन से इन मादक पदार्थों का ऑर्डर कर देता था। इस मुद्रा के जरिये खरीदे गए ड्रग्स को नासिक की एक कोरियर कंपनी कोलकाता स्थित निलय के आवास पर कोरियर या पोस्ट के जरिये पहुंचा देती थी, जहां से देशभर में तस्करी होती थी।
एलएसडी और एमडीएमए नाम के जिस ड्रग्स को ये लोग खरीदते थे, उसका सेवन करने के बाद उसका असर 24 घंटे से भी अधिक समय तक रहता है। ऋदम ने पूछताछ में बताया है कि कर्नाटक में मनिपाल यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाले अधिकांश छात्र इस ड्रग्स के आदी हैं और वे गोवा के समुद्र तट पर जाकर इसे खरीदते हैं। वहां ऋदम भी कई बार जाकर इसे खरीद चुका है। ये ड्रग्स अधिकतर इजरायल और रूस के पर्यटक बेचते हैं। ऋदम के कबूलनामे के बाद एनसीबी की टीम आरोपियों को दबोचने में जुट गई है।