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इस वजह से होती है मिर्च तीखी, तड़प उठता है शख्स जब आंखों में पड़ती है

मिर्च में कैप्सिसिन नामक कंपाउंड तीखेपन के लिए जिम्‍मेदार होता है। कैप्सिसिन जीभ और त्‍वचा पर पाई जाने वाली नसों पर असर करता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 05:27 PM (IST)
इस वजह से होती है मिर्च तीखी, तड़प उठता है शख्स जब आंखों में पड़ती है
इस वजह से होती है मिर्च तीखी, तड़प उठता है शख्स जब आंखों में पड़ती है

नई दिल्‍ली, जेएनएन। सचिवालय में एक शख्‍स ने दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आंखों में मिर्च झोंक दिया। हालांकि इससे उनको नुकसान नहीं हुआ। इससे पहले भी कई बार मिर्च का प्रयोग लोगों पर हमले के लिए किया गया।ऐसे में यह सवाल उठता है कि मिर्च आखिर तीखी क्‍यों होती है। मिर्च खाते ही हमारे मुंह में तेज जलन होने लगती है।

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अगर मिर्च हमारी त्‍वचा या आंखों पर भी लग जाए तो जलन का अनुभव होता है। ज्‍यादा मिर्च खाने पर हमारे शौच के रास्‍ते भी उस जलन को महसूस किया जाता है। क्या कभी आपने सोचा है कि मिर्च तीखी क्यों लगती है? दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कौन सी है और आखिर मिर्च का तीखापन मापने का भी क्या कोई पैमाना है?

मिर्च का जन्म स्थान दक्षिण अमेरिका है, जहाँ से यह पूरे विश्व में फैली। यूरोपीय लोगों के साथ ये पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में पूरी दुनिया में फैल गई। मिर्च का प्रयोग एक औषधि के रूप में भी होता है। मिर्च में कैप्सिसिन नामक कंपाउंड तीखेपन के लिए जिम्‍मेदार होता है।

यह मिर्च की बीच वाली परत में होता है। कैप्सिसिन जीभ और त्‍वचा पर पाई जाने वाली नसों पर असर करता है। इससे जलन और गर्मी का अहसास होता है। कैप्सिसिन खून में सब्‍सटेंस पी नामक केमिकल रिलीज करता है, जो दिमाग का जलन और गर्मी का सिग्‍नल देता है। कैप्सिसिन हालांकि तेज जलन पैदा करता है लेकिन ये ज्‍यादा डोज लेने पर भी स्‍थायी रूप से उत्‍तकों को नष्‍ट नहीं करता है। किसी भी मिर्च का तीखापन SHU (स्‍काविले हीट यूनिट्स) से मापा जाता है। ये तीखापन मापने की इकाई है।

विल्‍बर स्‍काविले ने 1912 में हयूमन टेस्टिंग पैनल के जरिए मिर्च का तीखापन मापने की यूनिट इजाद की थी। इसे मापने का तरीका अब बदल गया है। हयूमन पैनल की जगह अब हाइ्र प्रेशर लिक्‍वड क्रोमाटोग्राफी मशीन से मिर्च का तीखापन मापा जाता है। कैरेलीना रीपर फिलहाल दुनिया का सबसे तीखी मिर्च है। इसमें 15 से 22 लाख SHU(स्‍काविले हीट यूनिट्स) होती है। इससे पहले भारत की भूत जालोकिया 2011 तक दुनिया की सबसे तीखी मिर्च थी। अब यह तीखेपन में 7 वें नंबर पर है।

कैप्सिसिन पानी में घुलनशील नहीं 

पानी से मिर्च की जलन शांत नहीं होती। कैप्सिसिन पानी में घुलनशील नहीं है। इसके लिए दूध, दही, शहद या शक्‍कर इस्‍तेमाल करना चाहिए।

वैज्ञानिकों ने जाना मिर्च के तीखेपन का कारण

पेरिस। वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इस पहेली का हल ढूंढ़ निकाला है कि कुछ मिर्च बहुत तीखी क्यों होती हैं और कुछ कम तीखी? जीव विज्ञान संबंधी पत्रिका बॉयलाजिकल साइंसेज’के अनुसार इसका मुख्य कारण मिर्च के पौधे का जल के संपर्क में आने से है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके कसैलेपन के पीछे ‘कैपसाइपिनोइड’पदार्थ है जो मिर्च को फफूंद से बचाता है। पेरिस के इंडियाना यूनिवर्सिटी के डेविड हाक के नेतृत्व में शोध करने वाले दल ने बोलिविया जाकर मिर्च के पौधे में ‘कैपसाईपिनोइड’तत्व की जांच की। उन्होंने पाया कि पेरिस के उत्तरी क्षेत्र में मात्र 15 से 20 प्रतिशत मिर्च में ही यह तीखा पदार्थ मौजूद था। वहीं दूसरी ओर दक्षिणी हिस्से में स्थिति अलग थी। इस इलाके में करीब 100 प्रतिशत मिर्च के पौधों में इस तीखे पदार्थ के होने से मिर्च बहुत तीखी और कसैली थी। निष्कर्ष निकाला गया कि मिर्च का तीखापन फफूंद से बचने के लिए इस तत्व के विकास से पनपता है।  


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