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Kulbhushan Jadhav Case: इस नियम के कारण पाकिस्तान को मात देने मेें सफल रहा भारत

ICJ का मानना है कि पाकिस्तान ने वियना संधि का पालन नहीं किया। इस संधि के आधार पर भारत को अंंतरराष्ट्रीय मामले में बड़ी सफलता मिली है। जानिए क्या होती है ये संधि...

By Rajat SinghEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 05:04 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 06:37 PM (IST)
Kulbhushan Jadhav Case: इस नियम के कारण पाकिस्तान को मात देने मेें सफल रहा भारत
Kulbhushan Jadhav Case: इस नियम के कारण पाकिस्तान को मात देने मेें सफल रहा भारत

नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव को लेकर भारत सरकार को अंंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में बड़ी जीत मिली है। बुधवार को न्यायालय ने कुलभूषण की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। साथ ही जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने का भी आदेश दिया गया है। न्यायालय का मानना है कि पाकिस्तान ने वियना संधि का पालन नहीं किया। इस संधि के आधार पर भारत को अंंतरराष्ट्रीय मामले में बड़ी सफलता मिली है। अब आपके दिमाग में सवाल होगा कि आखिर यह संधि है क्या? इसका काम क्या है? हम आपको यहां वियना संधि 

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1961 में हुई संधि
विश्व युद्ध के बाद से दुनिया का माहौल बिगड़ा हुआ था। इसके बाद अंतरारष्ट्रीय स्तर पर शांति के प्रयास शुरू हुए। इसी प्रयास के तहत साल 1961 में पहली बार दुनिया के संप्रभु राष्ट्रों ने मिलकर यह संधि की। इसके ठीक दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऐसी ही एक संधि की, जो 'वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस' के नाम से जानी जाती है। इसका ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था। इसके एक साल बाद 1964 में इसे लागू कर दिया गया। भारत और पाकिस्तान समेत अब तक कुल 191 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

indain and pak lawyers

क्या है काम
वियना संधि का मुख्य काम है राजनयिकों को विशेष अधिकार देना। इस संधि के मुताबिक मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनयिकों को विशेष दर्जा देता है। इसके तहत किसी राजनयिक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, और ना ही उन्हें हिरासत में रखा जा सकता है। किसी राजनयिक पर टैक्स भी नहीं लगता है। यहां तक कि मेजबान देश किसी देश के दूतावास में भी नहीं घुस सकता। हालांकि, मेजबान को ही दूतावासों को सुरक्षा देनी पड़ती है। संधि के आर्टिकल 36 के अनुसार अगर कोई देश किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार करता है, तो संबंधित देश के दूतावास को तुरंत इसकी जानकारी देनी होगी।

कैसे हुई भारत की जीत
संधि के आर्टिकल 36 के अनुसार अगर पाकिस्तान किसी भारतीय नागरिक को गिरफ्तार करता है, तो उसे इसकी जानकारी भारतीय दूतावास को देनी होगी। लेकिन कुलभूषण के मामले में पाकिस्तान ने इस आर्टिकल का उल्लंघन किया है। नियम के मुताबिक पाकिस्तानी पुलिस को फैक्स कर गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी की जगह और वजह भी बतानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वहीं पाकिस्तान का दावा है कि जासूसी और आतंकवाद के मामले में ऐसा नहीं करना पड़ता। ऐसे व्यक्ति को कॉन्सुलर एक्सेस भी नहीं दिया जाता है। हालांकि,यह तभी लागू होता है जब दोनों देश आपस में ऐसा कोई समझौता किया हो। भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में इसी तरह का एक समझौता हुआ था। पाकिस्तान इसी का हवाला दे रहा है। इस मामले में पाकिस्तान की हार हुई। 16 जजों के बैंच में से 15 ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। ऐसे में पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी। बता दें कि इससे पहले वियना संधि के मामले पाकिस्तान अंंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत के सामने हार झेल चुका है।


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