आइए जानें, क्यों खास है आइएनएस विक्रांत
देश की आजादी के लगभग 66 बरस बाद ही सही, हमें पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत 'आइएनएस विक्रांत' मिल गया है। इस विशालकाय विमानवाहक पोत को अगर दुश्मनों का काल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 260 मीटर लंबा आइएनएस विक्रांत जब समंदर में तैरेगा तो यह किसी छोटे शहर की
नई दिल्ली। देश की आजादी के लगभग 66 बरस बाद ही सही, हमें पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत 'आइएनएस विक्रांत' मिल गया है। इस विशालकाय विमानवाहक पोत को अगर दुश्मनों का काल कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 260 मीटर लंबा आइएनएस विक्रांत जब समंदर में तैरेगा तो यह किसी छोटे शहर की तरह ही दिखेगा। यह इतनी बिजली भी पैदा करेगा, जिससे पूरा कोच्चि शहर जगमगा सके।
युद्धपोत के निर्माण में इसके तरण क्षेत्र का लगभग 90 फीसद हिस्सा, संचालन क्षेत्र का लगभग 60 फीसद हिस्सा और लड़ाकू आयुधों का करीब 30 फीसद हिस्सा स्वदेश में निर्मित है। इस पोत की लंबाई 260 मीटर और चौड़ाई 60 मीटर है और इसे डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने डिजाइन किया है तथा कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड में इसका निर्माण किया गया है। 2006 में इसका निर्माण कार्य शुरू हो गया था। आइए आपको बताते हैं विक्रांत बाकी विमानवाहक पोतों से कैसे अलग है।
क्यों खास है आइएनएस विक्रांत:
-चार गैस टरबाइन 24 मेगावॉट ऊर्जा पैदा करेंगे। पूरे कोच्चि शहर की बिजली की जरूरत को पूरा करने में सक्षम।
-10 हजार वर्ग मीटर का डेक। यानी फुटबॉल के दो मैदानों से भी बड़ा।
-इसमें लगभग 3500 किलोमीटर लंबी केबल इस्तेमाल की गई है, जो दिल्ली से कोच्चि तक पहुंच सकती है।
-260 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा। सतह से 50 फीट ऊंचा।
-38 हजार टन होगा भार।
-56 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार।
-एक साथ 1550 नौसैनिक रहेंगे तैनात।
-अर्ली अलार्मिग सिस्टम से लैस। दुश्नमों की पनडुब्बी पास पहुंचने से पहले कर देगा सूचित।
-अपने साथ 30 लड़ाकू विमान या हेलिकॉप्टर ले जाने में सक्षम।
-दो-दो रनवे। 45 मिनट में तीस लड़ाकू विमान भर सकते हैं उड़ान।
-मिग-29 के, स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान व कामोव 31 और वेस्टलैंड सी किंग हेलीकॉप्टरों से लैस होगा।
- सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की एलआर सैम मिसाइलें भी होंगी तैनात।
पढ़ें : स्वदेश निर्मित पहला विमानवाहक पोत का जलावतरण, छूटेंगे दुश्मनों के छक्के