हनी ट्रैप में फंसे थे विशाखापत्तनम जासूसी कांड के आरोपी, ISI को दे रहे थे इंडियन नेवी के सीक्रेट
विशाखापत्तनम जासूसी कांड में एनआईए ने 15वीं गिरफ्तारी की है। गोधरा से गिरफ्तार आरोपी के पास से काफी कुछ चीजों की बरामदगी भी हुई है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। विशाखापत्तनम जासूसी कांड में मंगलवार को केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने गुजरात के गोधरा में स्थित पंचमहल से जितेली इमरान को गिरफ्तार किया है। इस जासूसी कांड में एनआईए को मिली ये 15वीं बड़ी कामयाबी है। एनआईए के मुताबिक, इमरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता है। आईएसआई इन सभी के जरिए भारतीय नेवी के युद्धपोत और पनडुब्बियों की जानकारी हासिल करने का जाल बुना था। इसके लिए उसने हनी ट्रैप को माध्यम बनाया था। इस जाल में फंसकर भारतीय नौसेना के कुछ सदस्यों ने संवेदनशील जानकारियों को सीमा पार पाकिस्तान में पहुंचाया था।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि इस मामले में दिसंबर 2019 को एनआईए ने नौसेना के 7 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। इनमें 3 विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी नेवी कमान, 3 मुंबई स्थित पश्चिमी नवल कमान और एक कर्नाटक के करवार बेस का एक स्टाफ शामिल था। 15 जून को 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल किया गया है।
एनआईए के मुताबिक, 37 वर्षीय इमरान पाकिस्तान से कपड़ों के व्यापार की आड़ में ये गोरखधंधा करता था। वो इसके लिए कई बार कराची भी गया था। वो भारत में मौजूद आईएसआई एजेंट्स के भी संपर्क में था। आईएसआई के इशारे पर वो इंडियन नेवी के उन कर्मचारियों के खाते में कुछ-कुछ अंतराल पर पैसे डिलीवर करता था, जो उसको खुफिया जानकारी मुहैया करवा रहे थे। एनआईए को उसके घर से डिजिटल डिवाइस और कुछ गोपनीय दस्तावेज भी हासिल हुए हैं।
इसी मामले में मई में एनआईए ने मुंबई से मोहम्मद हारुन हाजी अब्दुल रहमान लकड़ावाला को भी गिरफ्तार किया था। लकड़ावाला को भारत के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम और आधिकारिक राज अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। लकड़ावाला भी इमरान की ही तरह बिजनेस के बहाने अपने आकाओं से मिलने कई बार कराची जाता रहता था। एनआईए के मुताबिक अपनी आखिरी पाकिस्तान यात्रा में वो दो पाकिस्तानी जासूसों अकबर उर्फ अली और रिजवान से मिला था जिन्होंने उसे नियमित अंतराल पर नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में पैसा जमा करने को कहा था।
गौरतलब है कि विशाखापत्तनम जासूसी मामला एक अंतरराष्ट्रीय रैकेट से संबंधित है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने इस जासूसी कांड को अंजाम देने के लिए जो तरीका अपनाया था उसमें कई कर्मी फंसते चले गए। इनमें से कुछ ने पैसे के लिए तो कुछ ने अंजाने में संवेदनशील जानकारियां दुश्मन देश को मुहैया करवाईं। इसको पाकिस्तान की आईएसआई के इशारे पर अंजाम दिया जा रहा था। 30 दिसंबर 2019 को एनआईए ने इस मामले को अपने हाथ में लिया था। इसके बाद एनआईए ने आईएसआई को संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में भारतीय नौसेना के 7 कर्मियों और एक कथित हवाला ऑपरेटर को गिरफ्तार किया था।
एनआईए की जांच में सामने आया है कि नौसेना कर्मी वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के माध्यम से आईएसआई एजेंट्स और पाकिस्तानी महिलाओं के संपर्क में थे। इन महिलाओं को भी इस काम के लिए आईएसआई ने ही तैयार किया था। भारत में इस काम के लिए तैयार नौसेना कर्मियों को पैसा भी हवाला के जरिए ही भेजा जाता था। हर जानकारी के बदले में आईएसआई की तरफ से इन कर्मियों को पैसा ट्रांसफर किया जाता था। इस पैसे को ट्रांसफर करने का काम भारत में मौजूद आईएसआई एजेंट्स का हुआ करता था।
ये भी पढ़ें:-