Home Loan: जानकारों की जुबानी जानें क्या होता है Loan To Value और Risk weight
हाल ही में आरबीआई ने होम लोन को लेकर एक बड़ा फैसला किया था। इस पर खरीददारों की कुछ अलग राय हो सकती है लेकिन इससे जुड़े जानकारों ने इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि ये चाहे ते हैं कि सरकार कुछ और उपाय भी करे।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। कुछ दिन पहले RBI ने होम लोन पर रिस्क वेट को तर्कसंगत बनाने के साथ इन्हें केवल एलटीवी रेशियो के साथ जोड़ने का फैसला किया था। इसको लेकर खरीददार और उद्योग की अलग-अलग राय है। आपको बता दें कि 31 मार्च, 2022 तक सैंक्शन होने वाले सभी नए हाउसिंग लोन पर ये नियम लागू होंगे। रियल एस्टेट डेवलपर्स ने आवास ऋण पर जोखिम भार कम करने के लिए आरबीआई के फैसले का स्वागत किया है। इनका कहना है कि यह क्षेत्र में ऋण प्रवाह को बढ़ाएगा, लेकिन इसको पुनर्जीवित करने के लिए और कदम उठाए जाने चाहिए। मौजूदा नियमों के अनुसार, अलग-अलग होम लोन पर अलग-अलग रिस्क वेट लागू होता है। यह लोन के आकार के साथ लोन-टू-वैल्यू यानी एलटीवी रेशियो पर निर्भर करता है। एलटीवी का मतलब है कि प्रॉपर्टी के मूल्य का कितना बैंक कर्ज देता है। अगर रिस्क वेट (जोखिम का भार) बढ़ता है तो बैंक को अधिक प्रावधान करने पड़ते हैं। इस प्रकार बैंकों की कर्ज देने की क्षमता सीमित हो जाती है।
लोन टू वैल्यू (एलटीवी) रेशियो क्या होता है?
एलटीवी रेशियो लिए जाने वाले कर्ज और प्रॉपर्टी के मूल्य का अनुपात है। यह लिए जा रहे लोन से उस प्रॉपर्टी के मूल्य की तुलना करता है जिसे खरीदार खरीदना चाहता है। बैंक या वित्तीय संस्थान आमतौर पर एलटीवी का इस्तेमाल यह तय करने के लिए करते हैं कि कर्ज कितना जोखिम भरा है और क्या उन्हें इसे मंजूर करना चाहिए या नहीं।
यह कैसे काम करेगा?
बैंक बाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक हर लोन के लिए बैंकों को लोन का कुछ प्रतिशत अलग रखना पड़ता है। ऐसा सॉल्वेंसी को कायम रखने के लिए किया जाता है। यही रिस्क वेटेज होता है। कर्ज के साथ जितना ज्यादा जोखिम होता है, वेटेज उतना ज्यादा होता है। अभी तक इस प्रतिशत को दो बातों के आधार पर तय किया जाता था। इसमें लोन का आकार और एलटीवी शामिल हैं। होम लोन में एलटीवी प्रॉपर्टी की कीमत का वह हिस्सा है जिसे बैंक फाइनेंस करता है। बाकी पैसे का इंतजाम खरीदार को करना पड़ता है। आरबीआई के ताजा फैसले के बाद होम लोन के लिए रिस्क वेटेज केवल एलटीवी के आधार पर किया जाएगा। जहां एलटीवी 80 फीसदी से ज्यादा है, वहां इसके लिए 50 फीसदी की सीमा तय की गई है। आरबीआई को उम्मीद है कि इससे बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा पूंजी होगी। इससे ग्रोथ बढ़ने के आसार हैं।
हाल ही में किए गए आरबीआई के फैसले पर विशेषज्ञों की राय
मौद्रिक नीति पर टिप्पणी करते हुए, एलांते ग्रुप के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आकाश कोहली ने कहा कि हाउसिंग लोन को एलटीवी में जोड़ने से हाउसिंग डिमांड को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) को सह-ऋण योजना का विस्तार करने से अ
तिरिक्त तरलता प्रभावित हो सकती है, लेकिन कड़े नियत मानदंडों और योग्यता मानदंडों के कारण रियल्टी क्षेत्र को उतना लाभ नहीं मिल सकता है। आरबीआई ने रियल्टी क्षेत्र को सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में मान्यता दे दी है, उसे ऐसे कदमों की भी घोषणा करनी चाहिए जो कि सेक्टर के अस्तित्व के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण हैं और फिर उन उपायों को पेश करे जिससे सेक्टर को पुनरुद्धार में मदद मिलेगी।
लीजिंग.नेट.इन के निदेशक आकाशदीप नारंग का कहना है कि RBI ने होम लोन पर जोखिम भार को तर्कसंगत बनाने और LTV अनुपात से जोड़ने के फैसले से इस क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। विशेष रूप से इस कदम से उच्च मूल्य ऋण के उधारकर्ताओं को फायदा होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि उधारकर्ताओं के लिए अधिक क्रेडिट उपलब्ध हो। यह कदम रोजगार और आर्थिक गतिविधि पैदा करने में रियल एस्टेट क्षेत्र की भूमिका को पहचानने वाला एक बहुत ही सराहनीय कदम है।
टेक्नोकैब इंडिया प्रा.लिमिटेड के संस्थापक अर्पण अग्रवाल के मुताबिक होम लोन पर रिस्क वेट को तर्कसंगत करना और हाउसिंग लोन रिस्क को केवल एलटीवी से जोड़ना स्वागत योग्य कदम है। इस एलान से बैंक घर खरीदारों को अधिक कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इसके लिए उन्हें अपनी बैलेंसशीट पर दबाव के बारे में बहुत चिंता नहीं करनी होगी। अभी के चुनौतीपूर्ण समय में जोखिम के कारण बैंक कर्ज देने में कतरा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि महामारी के बीच खरीदारों पर आर्थिक दबाव है।