जानें- क्या होती है साइक्लोजिकल ऑटोप्सी, इससे कैसे सुलझ सकती है सुशांत मामले की गुत्थी
सुशांत मामले में उठे सवालों के जवाब तलाशने के लिए सीबीआई साइक्लोजिकल ऑटोप्सी की मदद लेने वाली है। जानें क्या होती है प्रक्रिया।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या की गुत्थी सुलझने की बजाए उलझती ही जा रही है। सीबीआई इस मामले में अब साइक्लोजिकल आटोप्सी कराने की बात कह रही है। इस तकनीक का इस्तेमाल अब से पहले केवल दो ही मामलों में किया गया है। इनमें से एक बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की आत्महत्या का मामला था, जबकि दूसरा सुनंदा पुष्कर की मौत की गुत्थी सुलझाने का था।
क्या होती है साइक्लोजिकल ऑटोप्सी
दिल्ली यूनिवर्सिटी के साइक्लोजिकल डिपार्टमेंट के डॉक्टर गोपाल चंद्र महाकुद के मुताबिक जांच एजेंसी इस प्रक्रिया के दौरान पीड़ित के करीबी लोगों से बातचीत करके कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करती है। इनमें पहला सवाल है कि क्या पीड़ित के आखिरी दिनों में उसकी मानसिक स्थिति में किसी तरह के बदलाव देखने को मिले थे? आखिरी कुछ दिनों में या सप्ताह में क्या पीड़ित आत्महत्या के बारे में विचार कर रहा था? पीड़ित के मन में अंतिम दिनों में क्या चल रहा था? क्या उस वक्त वो किसी तरह के तनाव से जूझ रहा था? यदि हां तो उस पर गौर किया जाता है। इस दौरान सवालों के जवाब देने वाले व्यक्ति के हावभाव को भी बेहद बारीकी से देखा और समझा जाता है। तथ्यों की गहराई जानने के लिए उसके जवाबों से कई सवाल उभरते हैं जिनके लिए उससे Cross Questions किए जाते हैं।
डॉक्टर गोपाल के मुताबिक इस तकनीक का सबसे बड़ा मकसद पीड़ित का स्टेट ऑफ माइंड या उसकी मेंटल कंडीशन के बारे में जानना होता है जिसकी वजह से वो अपनी जिंदगी को खत्म करने जैसा खौफनाक कदम उठाता है। इस प्रक्रिया में पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट, यदि कोई हो तो, उसका भी गहन अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा इस जांच में उसके मोबाइल के मैसेजेस, कॉल्स, डायरी, घर के सामानों की जांच पर भी ध्यान दिया जाता है। सभी लोगों से बातचीत के बाद पीड़ित के मन मसतिष्क में चल रही सभी घटनाओं का एक ब्यौरा तैयार किया जाता है। इन सभी का मिलान पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट से भी किया जाता है। इन सभी के तालेमल के बाद जांच एजेंसी इस नतीजे पर पहुंचती है कि उस अमुक व्यक्ति ने सुसाइड किया था या नहीं।
साइक्लोजिकल ऑटोप्सी का इस्तेमाल उन मामलों की जांच में किया जाता है, जिनमें दूसरी तरह की जांच से सवालों के जवाब नहीं मिलते हैं। सुशांत के ही मामले में कई तरह की बातों के सामने आने के बाद ही इस मामले में साइक्लोजिकल ऑटोप्सी कराए जाने की बात कही जा रही है। हालांकि डॉक्टर गोपाल का कहना है कि कोर्ट में इस तरह की जांच रिपोर्ट को माना नहीं जाता है। इसके बावजूद ये जांच एजेंसी को उनकी दिशा देने में जरूर कारगर साबित होती है। ये एजेंसी की जांच को एक सटीक बिंदु पर केंद्रित कर सकता है।
बुराड़ी कांड
बुराड़ी कांड की ही बात करें तो इस मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी के जरिये ही यह पता चला था कि 11 आत्महत्याओं का मास्टर माइंड ललित था। उसके दिमाग में ऐसी चीजें चल रही थीं, जिसके चलते इतना बड़ा कांड हुआ। इसके जरिये ललित की मानसिक स्थिति का भी आकलन किया गया था। 30 जून 2018 को इस मामले के सामने आने के बाद हर कोई हैरान था।
सुनंदा पुष्कर मामला
2010 में कांग्रेस नेता शशि थरूर की शादी सुनंदा पुष्कर से हुई थी। ये दोनों की ही तीसरी शादी थी। 17 जनवरी, 2014 को सुनंदा का शव दिल्ली के लीला पैलेस होटल में मिला था। सुनंदा की मौत की सूचना पुलिस को शशि थरूर ने ही दी थी। शरूर ने बताया था कि सुनंदा सो रही थीं, काफी देर तक जगाने पर भी जब वह नहीं उठीं तो शक हुआ। इसके बाद उन्होंने पुलिस को फोन किया। पूछताछ के दौरान सामने आया था कि सुनंदा को ल्यूपस एरिथिमाटोसस नाम की बीमारी थी। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम इतना ज्यादा एक्टिव हो जाता है कि शरीर के स्वस्थ टिश्यू को ही मारने लग जाता है। इस मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए भी साइक्लोजिकल ऑटोप्सी की गई थी।
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