जानें कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के समक्ष क्या था भारत और पाकिस्तान का पक्ष
भारत और पाकिस्तान के लिए आज बेहद खास दिन है। ICJ में आज Kulbhushan Jadhav मामले में फैसला होना है। जानें इस मामले में दोनों देशों की तरफ से क्या पक्ष रखे गए।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव पर बुधवार को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (International Court of Justice) अपना फैसला सुनाएगी। 16 जजों की बैंच की मौजूदगी में आईसीजे के अध्यक्ष अब्दुलकवी अहमद यूसुफ इस फैसले को पढ़ेंगे। जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने आतंकवाद, जासूसी के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। 8 मई 2017 को पहली बार भारत ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस वक्त भारत की प्राथमिकता जाधव को मिली फांसी की सजा का स्थगन थी। भारत इसमें कामयाब भी रहा और 18 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) की सजा के स्थगन का आदेश दिया था। इस आदेश में यहां तक कहा गया था कि जब तक आईसीजे इस संबंध में अपना फैसला न सुना दे तब तक पाकिस्तान सैन्य अदालत द्वारा दी गई सजा को स्थगित किया जाए। करीब तीन वर्ष तक चले इस मामले में अब जानते हैं कि दोनों देशों ने अपने पक्ष में क्या कहा।
भारत का पक्ष
- पाकिस्तान ने इस मामले में वियना संधि का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान को चाहिए था कि जाधव की गिरफ्तारी से पहले और गिरफ्तारी के तुरंत बाद भारत के काउंसलर अधिकारी को इसकी जानकारी तुरंत दी जानी चाहिए थी।
- भारतीय अधिकारी को जाधव से कभी भी मुलाकात की छूट और इजाजत दी जानी चाहिए थी, जो की नहीं दी गई। इसी तरह जाधव को भी इस बात की छूट होनी चाहिए थी कि वह कभी भी अपना पक्ष भारतीय अधिकारियों के समक्ष रख सके।
- पाकिस्तान जाधव को काउंसलर एक्सेस देने के लिए बाध्य है, लेकिन उसने इसका उल्लंघन किया। जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया और इसकी जानकारी भारत को 25 मार्च 2016 को दी। वियना संधि के मुताबिक जाधव की गिरफ्तारी की सूचना तुरंत भारतीय हाई कमिश्नर को दी जानी चाहिए थी। इसके बावजूद पाकिस्तान ने इसकी वजह भी बतानी जरूरी नहीं समझी कि आखिर किस वजह से उसने इसकी जानकारी देने में तीन सप्ताह का विलंब किया।
- पाकिस्तान की तरफ से भारत को ये भी नहीं बताया गया कि क्या गिरफ्तारी के बाद जाधव ने किसी भी तरह की कोई अपील कोर्ट में की थी या नहीं। यदि की थी तो उसमें क्या बातें कही गई थीं और क्या उन्हें कानूनी मदद मुहैया करवाई गई थी। जब मीडिया के जरिए जाधव का मामला सामने आया तो पता चला कि उनकी अपील को सैन्य अदालत ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद जाधव की तरफ से दया याचिका दायर की गई थी।
- जाधव की मां ने एक अपील दायर की थी और इस मामले का पूरा ब्यौरा मांगा था, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से वह भी मुहैया नहीं करवाया गया। इतना ही नहीं जाधव की मां ने इसके लिए अपने और अपने पति के लिए वीजा देने की मांग की थी। 25 अप्रैल 2017 को वीजा संबंधी अपील की गई थी, जिस पर छह माह बाद भी कोई फैसला नहीं लिया गया।
- एक विदेशी नागरिक पर सैन्य अदालत में मामले का चलाया जाना अपने आप में International Covenant on Civil and Political Rights (ICCPR) का खुला उल्लंघन है। ऐसा करके न सिर्फ ICCPR का उल्लंघन किया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी मजाक उड़ाया है।
- भारत ने कोर्ट में पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण पर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कोर्ट के समक्ष पाकिस्तान की तरफ से एक भी पुख्ता सुबूत पेश नहीं किया गया।
पाकिस्तान का पक्ष
- यह मामला पाकिस्तान की जासूसी और सुरक्षा से जुड़ा था इसलिए इसमें आरोपी को काउंसलर एक्सेस की सुविधादेने का कोई मतलब नहीं होता है।
- क्योंकि यह मामला पूरी तरह से पाकिस्तान की सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे से जुड़ा है इसलिए इसमें अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का कोई दखल नहीं बनता है। जाधव देश में हुई आतंकी गतिविधियों, देश के संवेदनशील ठिकानों की जासूसी में लिप्त रहा है।
- कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था। उसके पास से फर्जी पासपोर्ट भी बरामद हुआ था। जिनमें से एक हुसैन मुबारक पटेल के नाम से था। खुद जाधव ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कुबूलनामा दिया है।
- कुलभूषण जाधव एक रॉ एजेंट है जो पाकिस्तान में जासूसी और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के मकसद से घुसा था। पाकिस्तान की अदालत में जाधव को अपना पक्ष रखने की छूट दी गई थी। इसके बाद ही सैन्य कोर्ट ने उस पर अंतिम फैसला सुनाया था।
कुलभूषण जाधव मामले में आज अंतरराष्ट्रीय कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें कब-क्या हुआ