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जानें क्‍या होता है कूलिंग पीरियड, कोविड-19 के मामले में आखिर क्‍यों है ये खास

कोविड-19 मरीजों के मामले में कूलिंग पीरियड काफी खास है। इसी पीरियड के दौरान शरीर में एंटीबॉडी मौजूद रहती है। ये तीन माह का होता है। तीन माह के बाद एंटीबॉडी खत्‍म होने लगती है। जब तक इसकी दूसरी लहर आएगी त‍ब तक वैक्‍सीन भी जा जाएगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 07:28 AM (IST)
जानें क्‍या होता है कूलिंग पीरियड, कोविड-19 के मामले में आखिर क्‍यों है ये खास
कूलिंग पीरियड तीन माह का होता है। इस दौरान मरीज के शरीर में एंटीबॉडी काम करती है।

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। विशेषज्ञों के अनुसार किसी देश में कोविड-19 के संक्रमण के बाद अगर हर्ड इम्युनिटी हासिल हो जाती है तो उसकी संक्रमण चेन टूटती है। लिहाजा हर रोज नए मामलों की संख्या में कमी आने लगती है। यह कमी लगातार करीब तीन महीने तक जारी रहती है। ऐसा इसलिए क्योंकि तमाम शोधों में यह बात सामने आई है कि एक बार संक्रमण के बाद किसी भी व्यक्ति के शरीर में कम से कम तीन महीने तक एंटीबॉडी प्रभावी रहती है। इस तीन महीने को ही विशेषज्ञ कूलिंग पीरियड कहते हैं। इसमें नए मामलों का ग्राफ लगातार नीचे गिरता है, लेकिन जैसे ही संक्रमित व्यक्तियों में एंटीबॉडी का असर कम या खत्म होता है तो वे संक्रमित होने लगते हैं और संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होती है। पश्चिम के तमाम देशों की तस्वीर इसकी पुष्टि करती है। 

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सुखद पहलू 

भारत के मामले में अच्छी बात यह है कि जब तक यहां संक्रमण के नए दौर की शुरुआत होगी, तब तक इस महामारी की वैक्सीन हाजिर हो जाएगी। ऐसे में इस अहम समयावधि के दौरान हम सबको अपनी इम्युनिटी को बनाए रखने का हर प्रयास करना होगा। अपने दैनिक कामकाज को निपटाने के दौरान तमाम जरूरी एहतियात बरतनी होगी। यकीन मानिए जीत हमारी होगी। इंसानियत अजर-अमर है और रहेगी।

भारत की स्थिति

देशव्यापी हुए सीरो सर्वे में ये बात सामने आई कि जितने संक्रमित सामने होते हैं दरअसल उनकी वास्तविक संख्या उसकी अस्सी गुने के करीब होती है। इस लिहाज से अगर आज कुल संक्रमितों की संख्या पचास लाख से ऊपर हो चुकी है तो उनकी वास्तविक संख्या करीब 50 करोड़ हो सकती है। यानी करीब आधी आबादी को कोरोना वायरस संक्रमित कर चुका है। ऐसे में देश हर्ड इम्युनिटी के करीब है। संक्रमण की इस स्थिर अवस्था की पुष्टि रोजाना नए मामले भी करते हैं। जांच के मामले में भारत अव्वल है। रोजाना यहां 10 से 13 लाख टेस्ट हो रहे हैं, लेकिन नए मामलों की संख्या 90 से 98 हजार के बीच झूल रही है। यानी यह एक स्थिर अवस्था की तस्वीर दिखाती है। पश्चिम के देशों का अनुभव बताता है कि मामलों में गिरावट से पहले कई दिनों तक आने वाले नए मामलों की संख्या नियत रही थी। यानी भारत में भी अब नए मामलों की संख्या में उत्तरोत्तर कमी देखी जा सकेगी और तीन महीने तक यह प्रवृत्ति जारी रह सकती है। इसके बाद ही देश में संक्रमण के नए दौर की शुरुआत हो सकती है।

ब्रिटेन: ब्रिटेन में अप्रैल और मई में बहुत तेजी से संक्रमण के मामले सामने आए। इसके बाद जून, जुलाई और अगस्त में संक्रमण के मामलों में अपेक्षाकृत गिरावट दर्ज की गई। हालांकि एक बार फिर यहां मामलों में बढोतरी हो रही है।

स्पेन: मार्च और अप्रैल में रोजाना बड़ी संख्या में मामले सामने आए। इसके बाद कूलिंग पीरियड के दौरान गिरावट दिखी। मई और जून में दैनिक मामले 500 से भी कम रह गए। अब यहां बढ़ोतरी लगातार जारी है।

फ्रांस: फ्रांस की स्थिति भी ऐसी ही है। यहां पर मार्चअप्रैल के मध्य आंकड़े बहुत ही तेजी से बढ़े, लेकिन मई, जून और जुलाई में गिरावट आई। हालांकि यहां भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर मामलों में बढ़ोतरी कर रही है।

इटली: इटली में मार्च के आखिर में सर्वाधिक मामले सामने आए थे। हालांकि अप्रैल में इसमें गिरावट आने लगी, लेकिन यह जुलाईअगस्त में तो कई बार दैनिक मामले 200 से भी कम आने लगे। हालांकि अब प्रतिदिन एक

हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

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