Move to Jagran APP

Jagran Trending | 5 प्‍वाइंट में जानिए दुनिया भर में रह रहे शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्‍या, आखिर क्‍यों मौन है अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियां

World Refugee Day 2022 विश्‍व शरणार्थी दिवस केवल एक दिन है लेकिन शरणार्थियों की दुर्दशा हर दिन होती है। दुनिया के मुल्‍कों को शरणा‍र्थियों की समस्‍या को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। आज शरणार्थी दिवस की इस कड़ी में शरणार्थियों की मूलभूत समस्‍याओं पर प्रकाश डालेंगे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2022 06:28 PM (IST)
Jagran Trending | 5 प्‍वाइंट में जानिए दुनिया भर में रह रहे शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्‍या, आखिर क्‍यों मौन है अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसियां
5 प्‍वाइंट में जानिए दुनिया भर में रह रहे शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्‍या। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। World Refugee Day 2022: विश्‍व शरणार्थी दिवस केवल एक दिन है, लेकिन शरणार्थियों की दुर्दशा हर दिन होती है। दुनिया के मुल्‍कों को शरणा‍र्थियों की समस्‍या पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। आज शरणार्थी दिवस की इस कड़ी में शरणार्थियों की मूलभूत समस्‍याओं पर प्रकाश डालेंगे। इन समस्‍याओं पर देश की सरकारों की जाने-अनजाने नजर नहीं जाती है। हालांकि, ये समस्‍याएं काफी गंभीर हैं। शरणार्थियों की इन समस्‍याओं पर दुनिया और अंतरराष्‍ट्रीय निकायों को जरूर विचार करना चाहिए। अपने देश से उपेक्षित और शोषित शरणार्थी दूसरे देश की राह इसलिए पकड़ते हैं कि उक्‍त देश में उनको उक्‍त समस्‍याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, लेकिन अपना देश छोड़ने के बाद भी वह उपेक्षित और शोषित होते हैं। अंतरराष्‍ट्रीय निकायों को शरणार्थियों की अनदेखी करने के बजाए उनकी समस्‍याओं के समाधान को बढ़ावा देने में सकारात्‍मक और रचानात्‍मक भूमिका निभाना चाहिए। आखिर शरणार्थियों की बड़ी समस्‍याएं क्‍या है। इस पर क्‍या है विशेषज्ञों की राय।

loksabha election banner

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि दुनिया भर में शरणार्थियों की सबसे बड़ी समस्‍या संवाद की है, भाषा की है। उन्‍होंने कहा कि यह कतई जरूरी नहीं कि शरणार्थियों को जिस किसी क्षेत्र में शरण मिलती है, वहां की भाषा उनको आती हो। कई बार तो वह ऐसे देशों में पहुंच जाते हैं, जहां पर मुख्य तौर पर अंग्रेजी भाषा का चलन होता है। इसे सीखना उनके लिए बड़ा ही मुश्‍किल का सामना करना होता है। ऐसे में भाषा की समस्या के चलते वे न दूसरों की बात समझ पाते हैं और न समझा पाते हैं। इसके चलते उनके समक्ष बड़ी जीवन जीने की दिक्‍कत खड़ी हो जाती है।उन्‍होंने कहा कि अमुमन यह समस्‍या हर शरणार्थी शिविरों में है।

2- प्रो अभिषेक का कहना है कि शरणार्थियों के लिए एक निश्चित आवास का नहीं होना भी एक बड़ी समस्‍या है। कई बार उनको छोटे और जर्जर तंबुओं में अपना जीवन गुजारना पड़ रहा है। कई बार मजबूरी में कई परिवारों को एक साथ एक बड़े कमरे में गुजारा करना पड़ता है। कई बार शरणार्थियों के शोषण की शिकायत मिली है। उक्‍त देश के नियम कानून का ज्ञान नहीं होने के कारण वह न्‍याय के लिए दर-दर भटकते हैं। कोरोना महामारी के काल में यह समस्‍याएं और भी जटिल हुई हैं। देशों की अपनी आतंरिक समस्‍याओं के कारण अक्‍सर शरणार्थी की समस्‍याएं दबकर रह जाती हैं।

3- प्रो अभिषेक का कहना है कि शरणार्थियों के समक्ष आवास और रोजी रोटी के अलावा बच्‍चों की शिक्षा एक बड़ी समस्‍या है। अपना वतन छोड़ने के बाद इन शरणार्थियों के बच्‍चों की सुधि लेने वाला कोई नहीं होता है। इसका सबसे बड़ा शिकार बच्‍चे होते हैं। कई बार देखा जाता है कि शरणार्थी जिस देश में रह रहे होते हैं। वह अपने बच्चों को वहीं के हिसाब से शिक्षा-दिक्षा दिलाते हैं। शरणार्थियों के बच्चे वहीं स्कूल के माहौल से एडजस्ट होने लगते हैं। इस दौरान बच्चों को स्कूल और घर में दो अलग-अलग स्थितियों से गुजरना पड़ना है। इसके अलावा बच्चों को समाज में भी काफी भेदभाव झेलना पड़ता है। इसका बच्‍चों के कोमल मन में मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। खासकर तब जब इतना कुछ होने के बाद जब वे कहीं और जाते हैं तो उन्हें फिर से समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

4- उन्‍होंने कहा कि शरणार्थियों के लिए अक्सर दूसरी जगहों पर जाकर रहने में सबसे बड़ी समस्या उनके दस्तावेज का उक्‍त देश में मान्य नहीं होना है। इसके चलते वह रोजगार से वंचित रह जाते हैं। उनके समक्ष रोजी-रोटी के साथ अपनी पहचान और अस्तित्‍व का नया संकट पैदा हो जाता है। रोजी-रोटी के संकट के कारण वह कई बार भुखमरी की कगार पर भी पहुंच जाते हैं। सही से खान-पान न मिलने से उनके बच्चे बीमार व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। शरणार्थियों को सही से ज्ञान न होने की वजह से उक्‍त देश में हिंसा, दुष्‍कर्म जैसी दूसरी यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

5- प्रो अभिषेक का कहना है कि दूसरे देश में शरणार्थियों के समक्ष सांस्‍कृतिक और धार्मिक विषमताओं का सामना करना पड़ता है। उन्‍होंने कहा कि यह एक बड़ी समस्‍या है। अक्सर शरणार्थियों को इस समस्या से भी बड़े स्तर पर जूझना पड़ता है। कई परेशानियों के बाद भी अपने धर्म और संस्कृति के मुताबिक चलने की कोशिश करते हैं। वहीं अक्सर उन्हें उस स्थानीय संस्कृति के हिसाब से जीने के लिए विवश किया जाता है। इस बाबत जो शरणार्थी मान जाते हैं उन्हें तो कोई दिक्‍कत नहीं होती हैं, लेकिन जो लोग नहीं मानते हैं उन्हें भी दूसरे तरीकों से विवश किया जाता है। कई बार उन्हें वहां भेजने की भी कोशिश होती है जिस जगह से वे आए होते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.