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DATA STORY: जानें, बिहार की कितनी सीटों पर बेहद करीबी मुकाबले में तय हुई जीत-हार

अगर पार्टीवार देखें तो जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदारों के मामले में करीबी मुकाबले सबसे अधिक रहे। जदयू की 4 सीटें ऐसी रहीं जहां पर एक हजार से कम मतों से जीत-हार हुई थी। वहीं बीजेपी की एक और राजद की तीन सीटों पर अंतर एक हजार से कम था।

By Vineet SharanEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 10:31 AM (IST)
DATA STORY: जानें, बिहार की कितनी सीटों पर बेहद करीबी मुकाबले में तय हुई जीत-हार
चुनावों में 41 सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत-हार का अंतर एक हजार से पांच हजार मतों के बीच था।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार मुकाबला काफी कड़ा था। राजद और एनडीए के बीच रोचक मुकाबले के बीच अंतिम क्षणों तक यह तय करना आसान नहीं था कि बिहार की कुर्सी पर कौन काबिज होगा। इसकी वजह यह थी कि कई सीटों पर उम्मीदवार एक-दूसरे से मामूली अंतर से ही आगे पीछे चल रहे थे। 2005 के बाद इन चुनावों में करीबी मुकाबले सबसे अधिक थे। कोरोना की वजह से इस बार मतदान केंद्र बढ़ाए गए थे, जिसकी वजह से मतगणना में देर हुई थी। हिल्सा सीट पर जीत-हार का अंतर सिर्फ 12 मत था। इस सीट पर जदयू के कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया ने जीत हासिल की। उन्होंने राजद उम्मीदवार अत्री मुन्नी सिंह को हराया है। वहीं, सबसे अधिक अंतर से जीती गई सीट बलरामपुर है, जहां सीपीआई (एम-एल) (एल) के उम्मीदवार ने 53,597 मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने वीआईपी पार्टी के वरुण कुमार झा को हराया है।

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बीते चुनाव के मुकाबले इस बार 1000 से कम अंतर से जीती गई कई सीटें हैं। 2015 के चुनावों में जहां 8 सीटें ही 1000 मतों से कम अंतर से जीती गई थीं। इस बार 11 सीटें ऐसी हैं, जिनमें मुकाबला कांटे का रहा और अंत में जीत-हार का अंतर एक हजार से कम था। 2010 में भी 11 सीटों पर जीत का अंतर एक हजार से कम था। 2005 में फरवरी में हुए चुनाव में 1000 से कम जीत-हार के अंतर से जीतने वाली सीटें 14 थी, जो 2005 नवंबर में बढ़कर 21 हो गई थी।

जदयू के सबसे अधिक रहे करीबी मुकाबले

अगर पार्टीवार देखें तो जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदारों के मामले में करीबी मुकाबले सबसे अधिक रहे। जदयू की 4 सीटें ऐसी रहीं, जहां पर एक हजार से कम मतों से जीत-हार हुई थी। वहीं, बीजेपी की एक और राजद की तीन सीटों पर जीत-हार का अंतर एक हजार से कम था।

41 सीटों पर जीत-हार का अंतर एक हजार से पांच हजार के बीच

इस बार चुनावों में 41 सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत-हार का अंतर एक हजार से पांच हजार मतों के बीच था। 2010 के चुनावों में 37 सीटें एक हजार से पांच हजार मतों के अंतर से जीती गई थीं। 2005 के फरवरी में हुए चुनावों में 54 सीटों और 2005 के नवंबर में हुए चुनावों में 75 सीटों पर जीत-हार का अंतर एक हजार से पांच हजार के बीच था। इस बार के चुनावों में 83 सीटें ऐसी थीं, जो कि बीस हजार से अधिक अंतर से जीती गई थीं, जबकि बीते चुनाव में 90 सीटों पर बीस हजार से अधिक अंतर से जीत हुई थी।  


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