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जानिए, कादर खान के बेस्‍ट डायलॉग, अमिताभ की इन फ‍िल्‍मों के लिखे थे संवाद

अमिताभ बच्‍चन को अमिताभ बनाने में कादर के संवादों का अहम रोल रहा है। उन्‍होंने अमिताभ की कई फ‍िल्‍मों के लिए सुपर डायलॉग लिखे।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 03:18 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 03:25 PM (IST)
जानिए, कादर खान के बेस्‍ट डायलॉग, अमिताभ की इन फ‍िल्‍मों के लिखे थे संवाद
जानिए, कादर खान के बेस्‍ट डायलॉग, अमिताभ की इन फ‍िल्‍मों के लिखे थे संवाद

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पशेल ]। हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता कादर ख़ान का कनाडा के एक अस्पताल में निधन हो गया।  वह 81 वर्ष के थे। कादर खान न केवल बे‍हतरीन अभिनेता थे, बल्कि वह एक अच्‍छे लेखक भी थे। उन्‍होंने कई दर्जनों सुपर हिट्स फ‍िल्‍मों के लिए बेहतरीन डायलॉग लिखे। उन्‍होंने कई फ‍िल्‍मों केे लिए पटकथाएं भी लिखी। उनको एक बेहतरीन एक्‍टर के साथ एक लेखक के रूप में याद किया जाएगा। अमिताभ बच्‍चन को अमिताभ बनाने में कादर के संवादों का अहम रोल रहा है। उन्‍होंने अमिताभ की कई फ‍िल्‍मों के लिए सुपर डायलॉग लिखे।

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दाग़ फ‍िल्‍म से बॉलीवुड में करियर की हुई शुरुआत
वर्ष 1973 में राजेश खन्ना की फ़िल्म दाग़ से उन्‍होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की। यह उनकी पहली    फ‍िल्‍म थी। इसके बाद कादर खान ने पलटकर नहीं देखा। उन्‍होंने करीब चार दशक की अपनी लंबी पारी में 300 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम किया। हालांकि, क़ादर ख़ान ने वर्ष  2004 में 'मुझसे शादी करोगी' के बाद बीमारी के चलते फ़िल्मों से किनारा कर लिया था, लेकिन अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म 'तेवर' की छोटी भूमिका से उन्होंने फ़िल्मों में वापसी की थी। लेकिन कादर ख़ान की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब 1974 में मनमोहन देसाई और राजेश खन्ना के साथ फ़िल्म रोटी में काम करने का मौक़ा मिला।

1- फ‍िल्‍म : मुक़द्दर का सिकंदर - 1978
फ‍िल्‍म मुक़द्दर का सिकंदर में फ़कीर बाबा बने कादर ख़ान ज़िंदगी का मर्म अमिताभ बच्‍चन को समझाते हैं। इस फ‍िल्‍म में हीरो अमिताभ थे। 1970 के दशक में यह एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। इसमें कादर का यह संवाद काफी हिट हुआ था। 'सुख तो बेवफ़ा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तक़दीर तेरे क़दमोंं में होगी और तू मुक़द्दर का बादशाह होगा।'

2- फ‍िल्‍म :  कुली - 1983
इस सुपर हिट फ‍िल्‍म के अभिनेता भी अमिताभ बच्‍चन थे। इस फ‍िल्‍म के कई संवाद कादर खान ने ही लिखा है। उन संवाद ने अमिताभ को एक नई ऊंचाई दी। इसके चलते अमिताभ हिट हुए। - 'बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है 'इक़बाल'।'

3- फ‍िल्‍म : हिम्मतवाला- 1983
इस फ‍िल्‍म में कादर खान की कॉमेडि ने उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन के रूप में स्‍थापित किया था। फिल्म में अमजद ख़ान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले क़ादर को सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फ़िल्मफ़ेयर मिला था। इस फिल्म का एक हिट संवाद- 'मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं... मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।'

4- फ‍िल्‍म : मिस्टर नटवरलाल- 1979
मिस्‍टर नटवरलाल अमिताभ की सुपर हिट्स फ‍िल्‍मों में से एक थी। इस फ‍िल्‍म में अमिताभ भगवान से बात करते हुए कहते हैं कि - 'आप हैं किस मर्ज़ की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है ? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो।' यह संवाद काफी हिट हुआ था। इसे कादन खान ने लिखा था।

5- फ‍िल्‍म : सत्ते पे सत्ता- 1982
1980 के दशक में यह एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। इस फ‍िल्‍म में अमिताभ के अभिनय को खुब सराहा गया था। इस फ‍िल्‍म में शराब पीने वाले सीन को यूट्यूब पर काफ़ी हिट्स मिले थे। इस संवाद को - 'दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर ख़राब हो जाता है, लीवर- कादर ही ने लिखा था।'

6- फ‍िल्‍म : अग्निपथ- 1990
1990 के दशक में अग्निपथ एक सुपर हिट फ‍िल्‍म थी। बेहतरीन किरदार के लिए अमिताभ के राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इसमें सबसे बड़ा बेहतरीन संवादों का भी था। इन संवादों को क़ादर ने ही लिखा था।- 'विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है। '

7- फ‍िल्‍म : अंगार - 1992
अपने दशक की यह एक हिट फ‍िल्‍म थी। इस फ‍िल्‍म में नाना पाटेकर और जैकी श्रॉफ़ थे। इस फ़िल्म के डायलॉग के लिए क़ादर ख़ान को सर्वश्रेष्ठ संवाद का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्‍का मिला था। इसका एक संवाद है- 'ऐसे तोहफ़े (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर। '


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