100 साल पुराने इस अखाड़े सा नहीं कोई, आज के मॉडर्न जिम भी हैं फेल
आज के आधुनिक दौर में एक ओर जहां एसी की ठंडक में जिम करते है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग के बरसों पुराने अखाड़े में न एसी है, न ही नई आधुनिक मशीनें और न ही मैट।
भिलाई [जेएनएन]। आज के आधुनिक दौर में एक ओर जहां एसी की ठंडक में जिम करते है, वहीं दूसरी ओर दुर्ग के बरसों पुराने अखाड़े में न एसी है, न ही नई आधुनिक मशीनें और न ही मैट। दुर्ग बैगापारा में स्थित जय हनुमान व्यायाम शाला, जिसका 1940 तक का रिकॉर्ड मौजूद है। तब इसकी देख-रेख दुर्ग नगर पालिका परिषद द्वारा किया जाता था। मगर जानकार बताते है कि यह व्यायाम शाला सौ साल से भी पहले का है। यहां आजादी के दौर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुश्ती के गुर सीखने के साथ ही तलवार भांजने की बारीकियों से भी सीखा करते थे।
नहीं है आज भी कोई तोड़
अंग्रेज के जमाने से भी पहले से स्थापित दुर्ग का जय हनुमान व्यायाम शाला में किसी तरह का परिवर्तन नजर नहीं आता। वहां समय के साथ परिवर्तन नहीं हुआ। मगर ट्विनसिटी में संचालित तमाम एसी और नई व आधुनिक मशीनों वाले जिम इस अखाड़े के सामने कहीं नहीं लगते है।
जय हनुमान व्यायाम शाला में पुराने जमाने का तलवार, मुग्दल भाला व लठ है। इसमें ही खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं। साथ ही जिम में मैट भी नहीं बिछा है। प्रैक्टिस करने वाले मिट्टी में ही प्रशिक्षण लेते हैं।
निकल चुके हैं तीन सौ से ज्यादा राष्ट्रीय खिलाड़ी
इस जिम में कुश्ती, पहलवानी, पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग, बॉडी बिल्डिंग, स्टैंथ लिफ्टिंग जैसे खेलों के गुर सिखाए जाते हैं। व्यायाम शाला के पॉवर लिफ्टिंग का प्रशिक्षण देने वाले अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व राष्ट्रीय निर्णायक नश्कर टंडन ने बताया कि यहां से अब तक तीन सौ से अधिक नेशनल प्लेयर्स निकल चुके हैं।
वहीं सारे गेम्स में 30 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने अपना प्रशिक्षण यहीं से लिया। नश्कर टंडन ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार, मध्यप्रदेश सरकार और केंद्रीय खेल रत्न पाने वाले खिलाड़ियों में अब तक 20 से अधिक ऐसे होंगे जो यहां अभ्यास करते रहे हैं।
पावर लिफ्टिंग में मध्यप्रदेश के दौर पर विरेन्द्र कुमार साहू ने इंडिया को प्रेजेंट किया था। इनको मध्यप्रदेश सरकार से विक्रम अवॉर्ड से नवाजा गया था। दिनेश शर्मा, अर्जुन सिंह सागरवंशी, नश्कर टंडन, युवराज राउत, संदीप कैशिक आदि यहां से ही प्रैक्टिस करते इंडिया को प्रेजेंट कर चुके हैं। वहीं वेट लिफ्टिंग में ललित साहू, बॉडी बिल्डिंग में रंजीत रावत, स्टैंथ लिफ्टिंग में उदल कुमार वाल्मिकी प्रशिक्षण देते है।
देसी स्टाइल और मिट्टी में खेलना कठिन
बैगापारा के जय हनुमान व्यायाम शाला में पावर लिफ्टिंग के गुर प्रशिक्षक नश्कर टंडन ने बताया कि यहां प्रैक्टिस पूरी तरह देसी स्टाइल में होता है। इसमें मेहनत ज्यादा लगती है। मगर यहां के खिलाड़ियों से सामने कोई टिक नहीं पाता। इसमें अभ्यास किए हुए खिलाड़ी कहीं भी जाकर अपना अलग ही छाप छोड़ आते हैं।
शुरू से ही हाशिए पर रहा
छोटे हॉल में चलने वाले जय हनुमान व्यायाम शाला में की तरफ कभी सरकार निगम या जिला प्रशासन का ध्यान नहीं गया। कहने को तो पहले दुर्ग नगर पालिका परिषद और अब दुर्ग नगर निगम संचालन जरूर करता है। मगर वहां की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।
वहीं के खिलाड़ियों की उपलब्धियों को देखते हुए सरकार ने कुश्ती की प्रैक्टिस करने के लिए मैट दिया था। मगर व्यायाम शाला में जगह के अभाव में उसे निगम द्वारा संचालित महात्मा गांधी स्कूल में रखा जाता है। इसकी देख-रेख राष्ट्रीय वेट लिफ्टर खिलाड़ी और स्कूल के पीटीआई ललित वर्मा करते हैं।