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Kamini Roy Birthday: जानें, कौन हैं महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने वाली कामिनी रॉय

Kamini Roy Birthday ब्रिटिश भारत में ऑनर्स में ग्रेजुएशन करने वाली एक्टिविस्ट और कवियत्री कामिनी रॉय की आज 155वीं जयंती है। जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 10:07 AM (IST)
Kamini Roy Birthday: जानें, कौन हैं महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने वाली कामिनी रॉय
Kamini Roy Birthday: जानें, कौन हैं महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने वाली कामिनी रॉय

नई दिल्ली,जागरण डेस्क। कामिनी रॉय जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया आज (12 अक्टूबर, शुनिवार) उनकी 155वीं जयंती है। कामिनी पहली ऐसी महिला हैं जिन्होंने ब्रिटिश इंडिया में ऑनर्स में गैजुएशन  की थी। कामिनी एक एक्टिविस्ट, शिक्षाविद् होने के साथ ही एक कवियित्री भी थी। कामिनी का जन्म 12 अक्टूबर 1864 को तत्कालीन बंगाल के बेकरगंज में हुआ था। हालांकि, अब बेकरगंज बांग्लादेश का हिस्सा है।  कामिनी के भाई कोलकाता के मेयर थे। साथ ही उनकी बहन नेपाल के शाही परिवार में फिजिशियन थी। गूगल ने भी आज डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। 

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महिलाओं की शिक्षा के लिए किया बहुत काम 

कामिनी बचपन से ही आजाद ख्यालों की थी, उन्होंने हमेशा से ही शिक्षा को तवज्जों दी थी। 1886 में कोलकाता यूनिवर्सिटी के बेथुन कॉलेज से संस्कृत में ऑनर्स ग्रेजुएशन की थी। वह ब्रिटिश इंडिया की पहली महिला थी जिन्होंने ग्रेजुएशन की थी। 

लिखीं महिला अधिकारियों से जुड़ी कविताएं 

जैसे ही कामिनी रॉय की शिक्षा पूरी हुई उसके बाद उसी विश्वविद्यालय में उन्हें पढ़ाने का मौका मिला। उन्होंने महिला अधिकारियों से जुड़ी कविताएं लिखना शुरू किया। इसी के साथ उनकी पहचान का दायरा बढ़ा। कामिनी अपनी एक सहपाठी अबला बोस से काफी प्रभावित थी। उनसे मिली प्रेरणा से ही उन्होंने समाज सेवा का कार्य शुरू किया और महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया।

समाज सेवा करने के साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलनों में भी भाग लिया। 1883 में वायसराय लॉर्ड रिपन के कार्यकाल के वक्त  इल्बर्ट बिल गया, जिसके अनुसार, भारतीय न्यायाधीशों को ऐसे मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया जिनमें यूरोपीय नागरिक शामिल होते थे। यरोपीय समुदाय ने इसका विरोध किया था लेकिन भारतीयों ने इसका समर्थन किया उन्ही में से कामिनी रॉ भी एक थीं। 

महिलाओं को दिलाया वोट का अधिकार

1909 में उनके पति केदारनाथ रॉय का निधन हो गया। पति के देहांत के बाद वह पुरी तरह से महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में जुट गई। कामिनी ने अपनी कविताओं के जरिए महिलाओं को उनके अधिकारियों के लिए जागरुक किया। इसी का साथ महिलाओ को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने एक लंबा आंदोलन चलाया। आखिरकार, 1926 में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला और 1933 में कामिनी हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गईं।


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