कृषि कानूनों के खिलाफ रेल रोको आंदोलन से प्रभावित हुई दो लाख टन कोयले की ढुलाई, 32.2 करोड़ यूनिट बिजली होती तैयार
नए कृषि कानूनों के विरोध में बीते सोमवार को हुए रेल रोको आंदोलन के कारण दो लाख टन कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई। इतने कोयले से 32.2 करोड़ यूनिट बिजली तैयार होती है जो पंजाब जैसे राज्य की दो दिन की मांग के बराबर है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नए कृषि कानूनों के विरोध में बीते सोमवार को हुए रेल रोको आंदोलन के कारण दो लाख टन कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई। इतने कोयले से 32.2 करोड़ यूनिट बिजली तैयार होती है, जो पंजाब जैसे राज्य की दो दिन की मांग के बराबर है। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई है। सरकार ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि किसानों के नाम पर कुछ बिचौलिए देश के विकास में बाधा डाल रहे हैं। इन लोगों ने सोमवार को जगह-जगह पटरियों पर धरना देकर ट्रेनों का परिचालन रोक दिया।
इसके चलते बिजली घरों के लिए कोयला ले जा रही 46 मालगाड़ियां समय से अपने गंतव्य को नहीं पहुंच सकीं। इन मालगाड़ियों पर दो लाख टन कोयला लदा था। रेल रोको आंदोलन से र्वाधिक प्रभावित राजस्थान और पंजाब रहे। जबकि इन्हीं दो राज्यों में इन दिनों सबसे ज्यादा बिजली संकट है। बिजली उत्पादन में व्यवधान से इन दो राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के किसान भी प्रभावित हुए हैं।
दोहरे रवैये के कारण मासूम किसान बेवजह परेशान हो रहे
सरकार ने कहा कि अफसोस की बात है कि एक तरफ राजस्थान और पंजाब, कोयले की कमी का रोना रो रहे हैं दूसरी तरफ इन्हीं राज्यों में कुछ तथाकथित आंदोलनकारी कोयले की आपूर्ति में बाधा डाल रहे हैं। इन राज्यों के दोहरे रवैये के कारण मासूम किसान बेवजह परेशान हो रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार कोयला आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था कर इस समस्या से निपटने का भरसक प्रयास कर रही है।
तापीय बिजली घरों को हर दिन 19 लाख टन कोयला चाहिए
सरकार ने बताया कि देश के तापीय बिजली घरों को हर दिन 19 लाख टन कोयला चाहिए। केंद्र सरकार 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर रही है। सरकार ने कोयला उत्पादन करने वाले सभी उपक्रमों से आपूर्ति बढ़ाने को कहा है ताकि कोयले की कमी से कोई बिजली घर में उत्पादन ठप नहीं होना चाहिए।