एमएसपी और और जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती के लिए प्रस्तावित कमेटी का जल्द होगा गठन
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती समेत अन्य कई मुद्दों पर विचार के लिए सरकार बहुत जल्द प्रस्तावित कमेटी का गठन करेगी। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद इसे मिशन मोड में क्रियान्वित किया जा रहा है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जीरो बजट वाली प्राकृतिक खेती समेत अन्य कई मुद्दों पर विचार के लिए सरकार बहुत जल्द प्रस्तावित कमेटी का गठन करेगी। कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के बाद इसे मिशन मोड में क्रियान्वित किया जा रहा है। इस संबंध में गठित होने वाली कमेटी की जल्द ही घोषणा की जाएगी। गुजरात के आणंद में 14 से 16 दिसंबर तक होने वाले इस तीन दिवसीय अधिवेशन में पीएम मोदी भी इसमें हिस्सा लेंगे।
कृषि सचिव ने कहा, प्राकृतिक खेती समेत अन्य मुद्दों पर भी कमेटी करेगी विचार
अधिवेशन की विस्तृत जानकारी देने के लिए बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में कृषि सचिव संजय अग्रवाल के साथ गुजरात के मुख्य सचिव पंकज कुमार भी वर्चुअल तौर पर शामिल हुए। प्राकृतिक खेती पर आयोजित अधिवेशन में विस्तार से होने वाली चर्चा के बाद प्रस्तावित कमेटी का गठन किया जा सकता है। हालांकि कृषि सचिव ने एमएसपी और प्राकृतिक खेती समेत अन्य मुद्दों पर गठित होने वाली कमेटी के आकार-प्रकार के बारे में कुछ नहीं कहा।
गुजरात में तीन दिवसीय अधिवेशन के समापन समारोह में पीएम मोदी लेंगे हिस्सा
उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कुछ तय नहीं किया गया है। किसानों के आंदोलन को सालभर से अधिक होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को प्रकाश पर्व पर कृषि सुधार के तीनों कानूनों की वापसी की घोषणा की थी। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एमएसपी की प्रक्रिया में सुधार कर इसे और कारगर और पारदर्शी बनाने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी के गठन की भी घोषणा की थी। कृषि क्षेत्र को लाभप्रद बनाने और लागत में कटौती करने वाली प्राकृतिक खेती का प्रस्ताव भी रखा था। उच्चस्तरीय कमेटी इस मुद्दे पर भी विचार कर अपनी राय देगी।
चार लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का प्रस्ताव मिला
देश के आठ राज्यों से तकरीबन चार लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिसे मंजूरी दे दी गई है। इसे और आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए किसानों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है। परंपरागत खेती से जहां मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ जाती है, वहीं फसलों की उत्पादकता पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता है। इस तरह की खेती में रासायनिक फर्टिलाइजर और कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती है।
गुजरात के डांग जिले में हो रही शत-प्रतिशत प्राकृतिक खेती
गुजरात के मुख्य सचिव पंकज कुमार ने कहा कि उनके यहां डांग जिले में शत प्रतिशत खेती प्राकृतिक हो रही है। राज्य में कुल 71 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती शुरू हो चुकी है। राज्य में कुल 100 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन किया गया है, जिसमें शत प्रतिशत प्राकृतिक खेती की जाएगी। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और तमिलनाडु में प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है।