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कैप्टन साठे ने पहले भी किया था विमान हादसे का सामना, 6 महीने अस्पताल में रहे थे भर्ती

कैप्टन साठे मुंबई की चांदीवली में जिस नाहर अमृत शक्ति हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में रहते थे वहां के निवासी भी शुक्रवार को हुए हादसे से दुखी हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 09:39 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 09:39 PM (IST)
कैप्टन साठे ने पहले भी किया था विमान हादसे का सामना, 6 महीने अस्पताल में रहे थे भर्ती
कैप्टन साठे ने पहले भी किया था विमान हादसे का सामना, 6 महीने अस्पताल में रहे थे भर्ती

मुंबई, प्रेट्र। केरल के कोझिकोड हवाई अड्डे पर हुई विमान दुर्घटना में जान गंवाने वाले पायलट कैप्टन दीपक साठे ने करीब 30 साल पहले भी एक बार विमान हादसे का सामना किया था। उस समय वह भारतीय वायु सेना में थे। हादसे के बाद किसी ने यह नहीं सोचा था कि कैप्टन साठे फिर विमान उड़ाएंगे, लेकिन कभी हार न मानने के जज्बे ने उन्हें फिर उड़ान भरने के लिए तैयार कर दिया।

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कैप्टन साठे के चचेरे भाई नीलेश साठे ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'दीपक को विमान उड़ाने का 36 साल का अनुभव था। 2005 में एयर इंडिया से बतौर कॉमर्शियल पायलट जुड़ने से पहले वह वायु सेना में रहे थे। 1990 के आसपास वायु सेना में रहने के दौरान भी उन्होंने एक विमान हादसे का सामना किया था। उन्हें छह महीने अस्पताल में रहना पड़ा था। किसी ने नहीं सोचा था कि वह दोबारा उड़ान भरेंगे। लेकिन अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और उड़ान को लेकर अपनी चाहत के दम पर उन्होंने फिर खुद को तैयार कर लिया। वह क्षण किसी चमत्कार जैसा ही था।'

कैप्टन साठे मुंबई की चांदीवली में जिस नाहर अमृत शक्ति हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में रहते थे, वहां के निवासी भी शुक्रवार को हुए हादसे से दुखी हैं। वहां रहने वाले पंकज नागपाल ने कहा, 'हाउसिंग सोसायटी में हर व्यक्ति उन्हें जानता था। जब वह उड़ान पर नहीं होते थे, तब पति-पत्नी सुबह-शाम वॉक पर जाया करते थे। उनका व्यवहार बहुत खुशनुमा और दोस्ती वाला था। वह सकारात्मकता से भरे रहते थे।'

परिजनों को टेबलटॉप हवाई अड्डों को लेकर चिंता: देशमुख

कैप्टन दीपक साठे के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कैप्टन के परिजनों ने देश में टेबलटॉप हवाई अड्डों पर चिंता जताई है। देशमुख ने कहा, 'परिवार के लोगों का कहना है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा हादसा फिर न हो।'


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