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केरल सरकार किसानों के लिए कल्याण बोर्ड का किया गठन, जानें कैसे बना जाएगा बोर्ड का सदस्य

देश में पहली बार केरल सरकार ने राज्य में किसानों के उत्थान के लिए एक कल्याण कोष बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को बोर्ड को ars केरल कार्षका क्षेमनिधि बोर्ड के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 04:20 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 04:20 PM (IST)
केरल सरकार किसानों के लिए कल्याण बोर्ड का किया गठन, जानें कैसे बना जाएगा बोर्ड का सदस्य
केरल सरकार ने राज्य में किसानों के किसान कोष बोर्ड का गठन।

तिरुवंतमपुरम, पीटीआइ। देश में पहली बार, केरल सरकार ने राज्य में किसानों के उत्थान के लिए एक कल्याण कोष बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को बोर्ड को केरल कार्षका क्षेमनिधि बोर्ड के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया।

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डॉ पी राजेंद्रन की होगी अध्यक्ष के रुप में  नियुक्ती

कैबिनेट ने यह भी तय किया कि डॉ पी राजेंद्रन को केरल किसान कल्याण निधि बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाएगा। आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसानों के कल्याण और उत्थान के लिए इस तरह का बोर्ड बनाया गया है। केरल कार्षका क्षेमनिधि अधिनियम के अनुसार, कृषि में बागवानी, औषधीय पौधों की खेती, नर्सरी प्रबंधन, मछली, सजावटी मछली, मसल्स, मधुमक्खी, रेशम के कीड़े, मुर्गी, बत्तख, बकरी, खरगोश, पशुधन, और ऐसे कृषि के लिए भूमि का रखरखाव और उपयोग शामिल है। 

किसानों को बोर्ड का सदस्य बनने के देना होगा पंजीकरण शुल्क

किसानों को बोर्ड का सदस्य बनने के लिए, उन्हें पंजीकरण शुल्क के रूप में 100 रुपये और मासिक शुल्क100 रुपये का भुगतान करने की आवश्यकता है। "किसान छह महीने या एक साल के लिए एक साथ मासिक शुल्क का भुगतान कर सकते हैं। सरकार एक समकक्ष हिस्सेदारी प्रदान करेगी। बोर्ड के सदस्य व्यक्तिगत पेंशन, परिवार पेंशन, बीमारी लाभ, विकलांगता लाभ, चिकित्सा सहायता, विवाह और मातृत्व भत्ता, शिक्षा सहायता और मरणोपरांत लाभ के हकदार हैं।

कल्याण कोष की सदस्यों की बेटियों की शादी के लिए दिया जाएगा पैसा

इसका लाभ महिला सदस्यों और कल्याण कोष की सदस्यों की बेटियों की शादी के लिए दिया जाएगा। अधिनियम के अनुसार, एक किसान एक मालिक, लाइसेंसधारी, एकमात्र मालिक, मौखिक किरायेदार, सरकारी भूमि का पट्टाधारक होता है जो पांच लाख रुपये से कम की वार्षिक आय के साथ 5 सेंट से कम और 15 एकड़ से अधिक का मालिक नहीं होता है।


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