केन-बेतवा लिंक परियोजना: नहीं सूखेंगी नदी, न प्यासी रहेगी जिंदगी, जानें- क्या है सरकार की पूरी प्लानिंग
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक केन-बेतवा लिंक परियोजना भी है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है जिसका 90 फीसद केंद्र सरकार वहन करेगी। इस परियोजना में केन नदी से बेतवा नदी में पानी पहुंचाया जाएगा।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। विश्व जल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली परियोजना पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और सालों से चर्चा में बनी केन-बेतवा लिंक परियोजना की शुरुआत हो जाएगी। यह समझौता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच होगा। इसी के साथ दोनों प्रदेशों के बीच पानी को लेकर चले आ रहे विवाद का अंत हो जाएगा। लोगों को सिंचाई से लेकर जल विद्युत का लाभ मिलेगा। पेयजल भी मिलेगा और सूखे का संकट खत्म हो जाएगा। परियोजना के सफर पर एक नजर।
क्या है परियोजना
राष्ट्रीय नदी विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) द्वारा देश में प्रस्तावित 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं में से एक केन-बेतवा लिंक परियोजना भी है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 45000 करोड़ है, जिसका 90 फीसद केंद्र सरकार वहन करेगी। इस परियोजना में केन नदी से बेतवा नदी में पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए दाऊधन डैम बनाया जाएगा और एक नहर के जरिए दोनों नदियों को जोड़ा जाएगा।
यह होगी प्रक्रिया
मध्य प्रदेश में छतरपुर व पन्ना जिलों की सीमा पर केन नदी के मौजूदा गंगऊ बैराज के अपस्ट्रीम में 2.5 किमी की दूरी पर डोढ़न गांव के पास एक 73.2 मीटर ऊंचा ग्रेटर गंगऊ बांध बनाया जाएगा। कंक्रीट की 212 किमी लंबी नहर द्वारा केन नदी का पानी उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में बेतवा नदी पर स्थित बरुआ सागर में डाला जाएगा।
बुंदेलखंड के लिए सौगात
यह परियोजना बूंद बूंद को तरसते बुंदेलखंड के लिए एक उपहार है। सालों से पानी की किल्लत से जूझ रहे क्षेत्र के लिए बौछार है। इस परियोजना में मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन जिले हैं तो उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।
सिंचाई भी होगी, बिजली भी मिलेगी
इस परियोजना से सिंचाई समेत पेयजल और जलविद्युत का लाभ मिलेगा। प्रति वर्ष 10.62 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं मिलेंगी और लगभग 62 लाख लोगों के लिए पेयजल आपूíत होगी। इसके अलावा 103 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन होगा।
साल 2008 में तैयार हुआ परियोजना का खाका
परियोजना का खाका 2008 में तैयार किया गया था लेकिन मंजूरियों के चलते परियोजना परवान न चढ़ सकी। इसके बाद साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि परियोजना पर अमल किया जाए जिसके चलते इस पर दोबारा चर्चा शुरू हुई। फिर 2016 में कुछ पर्यावरणीय मंजूरियां मिलते ही मोदी सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना पर अमल करना शुरू किया। दरअसल, इस मामले में मुख्य आपत्ति पन्ना टाइगर रिजर्व के 5500 हेक्टेयर से ज्यादा हिस्से का योजना क्षेत्र में शामिल होने से थी। हालांकि नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ ने इस पर अपनी सशर्त सहमति दे दी।
बंटवारे को लेकर बना रहा विवाद
साल 2017 में फिर से परियोजना को लेकर चर्चा शुरू हुई लेकिन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवाद फंस गया। परियोजना के मुताबिक उत्तर प्रदेश को रबी सीजन के लिए 700 एमसीएम (मिलियम क्यूबिक मीटर) पानी दिया जाना था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 930 एमसीएम पानी की मांग कर रही थी। मध्य प्रदेश की सरकार पहले तय 700 एमसीएम पानी देने पर ही सहमत थी। बाद में पानी बंटवारे के लिए केंद्रीय प्राधिकरण का गठन किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री का सपना
केन बेतवा लिंक परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस सपने का साकार करेगी जिसमें नदियों में आने वाले अतिरिक्त पानी को सूखे या कम पानी वाले इलाकों में पहुंचाया जाना था। इसके लिए नदियों को आपस में जोड़ा जाना था।