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केदारनाथ मंदिर के अगले हिस्से की दीवार में आया झुकाव : IIT चेन्नई

केदारनाथ मंदिर को लेकर आइआइटी चेन्नई की एक रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंदिर की नींव अब कमजोर हो गई है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 11:07 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2016 10:02 AM (IST)
केदारनाथ मंदिर के अगले हिस्से की दीवार में आया झुकाव :  IIT चेन्नई

देहरादून, (सुमन सेमवाल)। केदारनाथ मंदिर की नींव अब पहले की तरह मजबूत नहीं है, मंदिर की नींव अब कमजोर हो गई है। ये दावा किया गया है आइआइटी चेन्नई की एक रिपोर्ट में। साल 2013 का जलप्रलय झेलने के बाद भी ज्यों का त्यों खड़े रहे केदारनाथ मंदिर की मजबूती को लेकर पहली बार सवाल उठ रहे हैं। आइआइटी चेन्नई की रिपोर्ट में बताया गया है कि मंदिर की नींव अब कमजोर हो गई है। इससे मंदिर के अगले हिस्से की दीवार में सूक्ष्म झुकाव आ गया है। रिपोर्ट में सभा मंडप की छत को भी कमजोर बताया गया है।

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मंदिर का संरक्षण कर रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआइ) ने नींव को सुरक्षित बनाने के लिए परिसर के फर्श को वाटरप्रूफ बनाने का काम शुरू कर दिया है। एएसआइ के देहरादून स्थित क्षेत्रीय कार्यालय की अधीक्षण पुरातत्वविद लिली धस्माना के मुताबिक मंदिर की नींव को पानी से बचाने का सुझाव आइआइटी चेन्नई ने दिया है।

गुड़, दाल व सुर्खी से होगा बचाव

आइआइटी चेन्नई के सुझाव पर अमल शुरू कर दिया गया है। मंदिर परिसर के फर्श के पत्थरों को रेत, सुर्खी (ईट का बूरा) के साथ ही उड़द की दाल, गुड़ व बेल गिरी के मसाले से जोड़ा जा रहा है। फर्श को चारों तरफ से इस तरह बनाया जा रहा कि पानी टिक न पाए। फर्श के 90 वर्गमीटर तक हिस्से को वाटरप्रूफ बना दिया गया है। लेकिन अभी 500 वर्गमीटर से अधिक हिस्से पर काम शेष है। इस कार्य को अगले सीजन तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

बढ़ रहा पत्थरों में फासला

लिली धस्माना ने बताया कि मंदिर के दक्षिणी हिस्से के प्रथम तल के पत्थरों में आपस की दूरी बढ़ रही है। इस दिशा में भी उपचार कार्य चल रहा है, वहीं सभा मंडप की छत के पत्थर भी उखड़ रहे हैं। फिलहाल इन्हें लकड़ी से सपोर्ट दिया गया है। बाद में स्थाई प्रकृति का उपचार कार्य किया जाएगा। रिपोर्ट में एक अच्छी बात यह भी सामने आई कि केदारनाथ मंदिर का गर्भ गृह सबसे मजबूत स्थिति में है।

बिजली गिरने पर रहेगा सुरक्षित

आइआइटी चेन्नई की रिपोर्ट के बाद एएसआइ ने मंदिर की सुरक्षा को हर लिहाज से चाक चौबंद बनाना शुरू कर दिया है। इस दिशा में अब मंदिर को आकाशीय बिजली से सुरक्षित बनाने के लिए लाइटनिंग कंडक्टर (तडि़त चालक) लगाने का निर्णय लिया गया है। एएसआइ के संरक्षण सहायक एमएस रावत ने बताया कि इसके लिए मंदिर के ऊपर तांबे का लाइटिंग कंडक्टर लगाया जाएगा।

तबाही के वो तीन साल

16 जून 2013 की रात केदारनाथ में भयंकर जल प्रलय आया था, इस जल प्रलय ने केदार घाटी की शक्ल बदल दी। राज्य सरकार ने इस आपदा में 5,700 लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया था। जबकि सैकड़ों लोग तो लापता हो गए। इस भयानक प्रलय में होटल, धर्मशाला यहां तक कि गांव के गांव बह गए।


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