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कश्मीरी पंडित विस्थापितों की संपत्ति पर किया जा रहा कब्जा

कश्मीरी विस्थापितों को सम्मानजनक घाटी वापसी के सरकार के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 09:58 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 09:58 PM (IST)
कश्मीरी पंडित विस्थापितों की संपत्ति पर किया जा रहा कब्जा
कश्मीरी पंडित विस्थापितों की संपत्ति पर किया जा रहा कब्जा

सतनाम सिंह, जम्मू। आतंकवाद के चलते करीब तीन दशक से विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडित विस्थापितों में से मात्र एक तिहाई से भी कम ने कश्मीर घाटी में अपनी संपत्ति को बेचा है। अधिकतर कश्मीरी विस्थापितों को उम्मीद है कि घाटी में माहौल ठीक होगा और वे वापस अपने घरों को जाएंगे, लेकिन मौजूदा हालात उन्हें वापसी लायक नहीं लग रहे। वहां संपत्ति छोड़कर आए कई कश्मीरी विस्थापितों की जमीनों पर कब्जे भी हो चुके हैं। इनकी मजबूरी यह है कि कश्मीर में उनकी संपत्ति की देखभाल करने वाला कोई नहीं।

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हालांकि यह आंकड़ा किसी के पास नहीं है कि कितनी जमीन हड़पी जा चुकी है। कश्मीरी विस्थापितों को सम्मानजनक घाटी वापसी के सरकार के प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। केंद्र हो या राज्य सरकारें, समय-समय पर इन विस्थापितों को वापस भेजने के दावे तो करती रहीं, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। कश्मीरी विस्थापित शुरू से ही मांग करते रहे हैं कि कश्मीर में उनके लिए अलग होमलैंड बनाया जाए।

विधानमंडल में राहत, पुनर्वास और पुननिर्माण मंत्री ने बताया था कि कश्मीर संभाग के दस जिलों में कश्मीरी विस्थापितों की 1990 से 1996 के बीच 85749 कनाल (भूमि पैमाइश की स्थानीय ईकाई) भूमि पर संपत्ति थी। जम्मू कश्मीर माइग्रेंट इममूवएबल प्रापर्टी प्रीरेजेवेशन, प्रोटेक्शन एंड रिस्टेन ऑफ डिस्ट्रेस सेल एक्ट 1997 के तहत डिवीजनल कमिश्नर कश्मीर ने 6179 आवेदन में बिक्री की अनुमति दी। इसमें विस्थापितों ने 24692 कनाल भूमि पर बनी संपति को बेच दिया।

पुनर्वास के लिए दिया गया रोजगार: कश्मीरी विस्थापितों के पुनर्वास के लिए 2009 में घाटी में तीन हजार पदों को भरने के लिए मनमोहन सरकार ने प्रधानमंत्री पैकेज घोषित किया गया था। इसमें शिक्षा में 1760, समाज कल्याण विभाग में 234, राहत आर्गेनाइजेशन में 152, वित्त में 151, इंजीनियरिंग में 512, पर्यटन में 15, स्वास्थ्य में 86 और राजस्व में 90 पद शामिल थे। इन तीन हजार पदों में से 2900 चयनित सूचियां जारी की गईं। इसके बाद मोदी सरकार ने 29 जुलाई 2017 को अतिरिक्त तीन हजार पद सृजित किए गए। इन तीन हजार पदों में से 2835 स्टेट सर्विस सलेक्शन बोर्ड को रेफर किए गए। पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है।

खेतों पर भी हो चुके हैं कब्जे: डॉ. अग्निशेखर

कश्मीरी विस्थापितों के प्रमुख संगठन पनुन कश्मीर के कनवीनर डॉ. अग्निशेखर ने कहा कि जब कश्मीरी विस्थापित हुए तो उनको अपने बच्चों की शादियों व अन्य कार्यों के लिए पैसा चाहिए था। इसलिए कुछ कश्मीरी विस्थापितों ने मजबूरी व बेबसी में जमीन बेची। जो जमीन नहीं बेची गई उस भूमि व संपत्ति में से कई पर कब्जे हो चुके हैं। खेतों पर भी कब्जे हुए हैं। तीन दशक से कश्मीर में माहौल ठीक नहीं हुआ है। कई सरकारें आ चुकी हैं, लेकिन कश्मीर के प्रति किसी के रवैये में कोई फर्क नहीं आया। कश्मीर में माहौल ठीक करने के लिए हिम्मत वाला फैसला करना होगा।

कश्मीरी विस्थापित- एक नजर

-केंद्र ने 2008-09 में 1618.40 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।

-मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त हुए कर्मचारियों को कश्मीर में आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाना व पुनर्वास करना था। इसके तहत 723 फ्लैट बनाए गए।

- केंद्र सरकार ने छह हजार अतिरिक्त आवासीय अस्थायी फ्लैट बनाने को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री के 2015 के पैकेज के तहत फ्लैट बनाए जाने हैं। यह उनके लिए है जो विस्थापित कश्मीर में नौकरी करने के लिए जाएंगे। कश्मीर के वेसू में 512 फ्लैट बनाए जा रहे हैं। शेखपोरा में 96 फ्लैट बनाए जा रहे हैं।


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