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प्रवासी भारतीयों के स्वागत में बहेगी सुरमयी 'काशी गंगा', 4 दिनी महोत्सव का आज से आगाज

गंगा किनारे राजघाट पर रविवार से चार दिनी काशी गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। लोक और शास्त्र को संजोये इस महोत्सव में सुर-लय-ताल की त्रिवेणी बहेगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 10:05 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 07:17 AM (IST)
प्रवासी भारतीयों के स्वागत में बहेगी सुरमयी 'काशी गंगा', 4 दिनी महोत्सव का आज से आगाज
प्रवासी भारतीयों के स्वागत में बहेगी सुरमयी 'काशी गंगा', 4 दिनी महोत्सव का आज से आगाज

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली/वाराणसी। देश दुनिया में संगीत के लिए पहचाने जाने वाले शहर बनारस में प्रवासी भारतीयों के स्वागत में 'काशी गंगा' प्रवाहित होगी। गंगा किनारे राजघाट पर रविवार से चार दिनी काशी गंगा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। लोक और शास्त्र को संजोये इस महोत्सव में सुर-लय-ताल की त्रिवेणी बहेगी। इसमें पद्मभूषण पं. राजन-साजन मिश्र के साथ ही हाल के वर्षो से अपनी गायकी से संगीत प्रेमियों के दिलो-दिमाग पर छाने वाली बाला मैथिली ठाकुर का गायन होगा तो सूफी व फ्यूजन नृत्य कला संगीत के प्रति प्रीत के दर्पण से कम न होंगे।

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कार्तिक के बजाय इस बार दिवस विशेष पर आयोजन

बनारस में गंगा महोत्सव की परंपरा तीन दशक पुरानी है। इसका हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी से चतुर्दशी तक आयोजन किया जाता रहा है। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस के मद्देनजर इसे तय समय के बजाय अब काशी गंगा महोत्सव के नाम से आयोजित किया जा रहा है।

वास्तव में गंगा महोत्सव का वर्ष 1987 में भैंसासुर घाट (राजघाट) पर शुभारंभ किया गया था। वहां पास में रेल ट्रैक होने से ट्रेन की आवाज से कलाकारों की साधना भंग होती थी। ऐसे में उसे बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर ले आया गया। आवागमन की सुविधा का हवाला देते हुए इसे 2014 में संत रविदास घाट पर स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके आयोजन की जिम्मेदारी इवेंट कंपनी को देते हुए शास्त्रीय के साथ स्टार कलाकारों के जरिए लोक व सूफी रंग भी सजाए गए।

हालांकि प्रदेश में सरकार बदलने के साथ इसे फिर से राजेंद्र प्रसाद घाट पर ले आया गया और पुन: शुद्ध शास्त्रीय बनाया गया। हालांकि इस बार फिर सभी विधाओं का समावेश किया जा रहा है और आवागमन की सुविधा को देखते हुए वही स्थान दिया जा रहा है, जहां से शुरुआत की गई थी।

नित्य प्रति आयोजन

20 जनवरी- मैथिली ठाकुर (गायन), मफाल्दा मास सागरा निचिनी, नूरिया काबो व मोनालीसा राय (फ्यूजन नृत्य), प्रणव सिंह (गायन)

21 जनवरी- उस्ताद शाहिद परवेज (सितार वादन), पं. राजन साजन मिश्र (शास्त्रीय गायन), नेहा बनर्जी ग्रुप (कथक नृत्य नाटिका), वंदना मिश्रा (लोक गायन)

22 जनवरी- राहुल रोहित मिश्रा (शास्त्रीय गायन), काम्या कुलकर्णी (कथक), ओपी श्रीवास्तव (भजन), अंशुमान महाराज (वाद्यवृंद फ्यूजन)

23 जनवरी- नूरां सिस्टर्स (सूफी गायन), एसएस पब्लिक स्कूल ( नृत्य फ्यूजन), सुचिता पांडेय (गायन)।


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