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मुस्लिम समुदाय ने कसाब की फांसी का किया स्वागत

मुंबई हमले के दोषी आतंकी अजमल कसाब को फांसी देने में काफी देर हो गई। बहुत पहले ही इस आतंकी को खत्म कर देना चाहिए था। जिस आतंकी के हाथ कई लोगों के खून से रंगे हो, उसे तो बहुत पहले ही मर जाना चाहिए था। देश के मुस्लिम संगठनों का ऐसा मानना है।

By Edited By: Published: Wed, 21 Nov 2012 01:52 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2012 09:06 PM (IST)
मुस्लिम समुदाय ने कसाब की फांसी का किया स्वागत

नई दिल्ली। मुंबई हमले के दोषी आतंकी अजमल कसाब को फांसी देने में काफी देर हो गई। बहुत पहले ही इस आतंकी को खत्म कर देना चाहिए था। जिस आतंकी के हाथ कई लोगों के खून से रंगे हो, उसे तो बहुत पहले ही मर जाना चाहिए था। देश के मुस्लिम संगठनों का ऐसा मानना है।

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महाराष्ट्र में जमियत उलेमा-ए-हिंद संगठन के सचिव गुलजार आजमी ने सरकार के इस फैसले का तहे दिल से स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार को इतना वक्त जाया किए बगैर ही यह फैसला काफी पहले ले लेना चाहिए था। ऐसे लोगों को कभी भी माफी नहीं मिलनी चाहिए।

मुंबई में रहने वाले कुछ लोगों ने साफ तौर पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि जो हुआ अच्छा हुआ। मुंबई को आज अपना हक मिल गया। मुस्लिम संप्रदाय में माना जाता है कि एक भी निर्दोष को मारना मतलब पूरे मानवता का खून करना होता है। ऐसे में कसाब ने कितने बेगुनाह की जान ली है। कसाब ने सिर्फ लोगों की हत्या ही नहीं की है बल्कि इस्लाम जैसे पवित्र धर्म को गाली भी दी है।

कसाब की फांसी पर दारुल उलूम खामोश

जागरण संवाददाता, देवबंद। आतंकवाद के खिलाफ खुला अभियान चलाने और स्पष्ट फतवा जारी करने वाले इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम ने मुंबई हमले के दोषी आतंकी आमिर अजमल कसाब को दी गई फांसी के मामले में खामोशी अख्तियार कर ली है। वहीं, वक्फ दारुल उलूम ने इसे जायज करार दिया है।

दारुल उलूम और उससे जुड़े लोगों ने हाल के वर्षो में देश भर में आतंकवाद विरोधी सम्मेलन किए। फतवा भी जारी किया कि आतंकवाद की इस्लाम में कोई जगह नहीं है और न ही इस्लाम का उदय आतंक के बल पर हुआ। आतंकवादी इंसानीयत के दुश्मन हैं। लेकिन कसाब को दी गई फांसी पर दारुल उलूम ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया है। मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी ने इतना भर कहा कि अगर अदालत ने आमिर अजमल को फांसी दी है तो वह सुबूतों की बुनियाद पर ही दी होगी। अदालत के फैसले पर दारुल उलूम इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहेगा।

नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि अदालत फैसले पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते। दारुल उलूम एक शिक्षण संस्थान है और ऐसे मामलों से उसका कोई ताल्लुक नहीं।

वक्फ दारुल उलूम के मुफ्ती मौलाना आरिफ कासमी ने कहा कि आमिर अजमल जैसे आतंकवादी इंसानीयत के दुश्मन हैं। अदालत ने उसे फांसी देकर सही किया है। इससे आतंकवादियों को सबक मिलेगा। जो आतंकवादी हमारे देश की फिजा खराब कर इंसानीयत को दागदार कर रहे हैं, उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए। सरकार को भी दहशतगर्दो के खिलाफ कठोर कदम उठाना चाहिए। आतंकियों का कोई धर्म व मजहब नहीं होता।

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