फांसी से पहले घबराया था कसाब
पुणे की यरवदा जेल में बुधवार सुबह 7.30 बजे फांसी दिए जाने से पहले पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब घबराया हुआ लग रहा था, लेकिन वह शांत था। उसने फांसी से पहले नमाज अदा की। जेल अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब उसे बैरक से निकाल कर फांसी के लिए लाया गया तो बहुत घबराया था। नमाज अदा करने के बाद उसने अधिकारियों से पूछा था कि क्या उसके परिजनों को फांसी के बारे में सूचित कर दिया गया है? इस पर अधिकारियों ने उसे सकारात्मक जवाब दिया।
पुणे। पुणे की यरवदा जेल में बुधवार सुबह 7.30 बजे फांसी दिए जाने से पहले पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब घबराया हुआ लग रहा था, लेकिन वह शांत था। उसने फांसी से पहले नमाज अदा की। जेल अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब उसे बैरक से निकाल कर फांसी के लिए लाया गया तो बहुत घबराया था। नमाज अदा करने के बाद उसने अधिकारियों से पूछा था कि क्या उसके परिजनों को फांसी के बारे में सूचित कर दिया गया है? इस पर अधिकारियों ने उसे सकारात्मक जवाब दिया।
हम छोड़ चले हैं महफिल को..
अजमल कसाब के वकील अमीन सोलकर ने बताया कि वह प्रख्यात गायक मुकेश का प्रशंसक था। वह अक्सर उनके गाए गानों को गुनगुनाता था। हम छोड़ चले इस महफिल को, याद आए कभी तो मत रोना..उसका पसंदीदा गाना था। उन्होंने बताया जब आर्थर रोड जेल में हम मिलते थे तो वह अक्सर इस गाने को गुनगुनाता था। सोनकर ने निचली अदालत द्वारा कसाब को मिली फांसी की सजा के खिलाफ बांबे हाई कोर्ट में उसकी पैरवी की थी। उन्होंने बताया कि वह मुहम्मद रफी का भी फैन था। उनके गीतों को भी वह गुनगुनाता था। उसने हमसे कहा था कि अदालत से आग्रह करें कि उसे पढ़ने के लिए अखबार दिया जाए क्योंकि उसके पास बातचीत के लिए कोई नहीं है।
कैदी नंबर 'सी-7096' रही पहचान
जेल में रहने के दौरान अजमल कसाब की पहचान कैदी नंबर 'सी-7096' ही रही। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा उसकी दया याचिका को खारिज करने के बाद उसकी फांसी के संबंध में आधिकारिक दस्तावेज में उसकी पहचान इस नंबर से ही की गई थी। उसे यह नंबर आर्थर रोड जेल में अधिकारियों ने दिया था। सुरक्षा व्यवस्था के कुछ अधिकारियों तक ही कैदी नंबर 'सी-7096' की फाइल तक पहुंच थी। सूत्रों कें मुताबिकजब कसाब को मुंबई से पुणे की यरवदा जेल लाया गया तो इसी नंबर का इस्तेमाल बातचीत के दौरान किया गया।
मराठी बोलकर चौंकाया था
आर्थर रोड जेल में बनाई गई विशेष अदालत में मुंबई हमले की सुनवाई के दौरान अजमल कसाब ने मराठी बोल कर जज, पुलिसकर्मियों और अदालत के अधिकारियों को चौंकाया था। तीन साल पहले जब उससे उसके स्वास्थ्य के बारे में पूछा गया था तो उसने मराठी में कहा था नाहि नाहि ताप नाहि आहे [नहीं, नहीं बुखार नहीं है]। दरअसल, मई, 2009 में मामले की सुनवाई शुरू होने पर उर्दू माध्यम स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ाई छोड़ने वाले कसाब ने ध्यान से कार्यवाही को सुना और अंग्रेजी और मराठी के शब्दों को सीखा। सुनवाई के दौरान गवाह, वकील और जज इन्ही भाषाओं का प्रयोग करते थे। तुम्हीं निघुन जा [तुम जा सकते हो] पहले मराठी शब्द थे जिसे कसाब ने विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम से सीखे थे। इन शब्दों का प्रयोग निकम अदालती कार्यवाही पूरी होने के बाद कसाब से करते थे।
मुंबई हमलों के दौरान एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी कसाब विशेष अदालत के जज एमएल तहलियानी को अक्सर अंग्रेजी में गुड मार्निग कहता था। निकम ने बताया कि एक बार रक्षाबंधन पर उसने अपने वकील से पूछा था कि क्या कोई लड़की उसकी कलाई पर राखी बांधने आएगी।
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