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कर्नाटक विधानसभा में मतांतरणरोधी विरोधी विधेयक पेश, कांग्रेस विधायक ने सदन में फाड़ी बिल की कापी

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने राज्य विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी विधेयक (anti-conversion bill) पेश किया। 22 दिसंबर को विधानसभा में इस बिल पर चर्चा होगी। राज्य के विपक्षी दल और ईसाई नेता बिल का विरोध कर रहे हैं।

By Geetika SharmaEdited By: Published: Tue, 21 Dec 2021 05:13 PM (IST)Updated: Tue, 21 Dec 2021 07:42 PM (IST)
कर्नाटक विधानसभा में मतांतरणरोधी विरोधी विधेयक पेश, कांग्रेस विधायक ने सदन में फाड़ी बिल की कापी
कर्नाटक विधानसभा में पेश धर्मांतरण विरोधी विधेयक

बेलागवी, प्रेट्र। कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में मतांतरणरोधी बिल पेश किया। कांग्रेस के सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सदन में ही बिल की कापी फाड़ डाली। उनकी पार्टी ने बिल को कठोर और संविधान रोधी बताया है। राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने सदन में 'कर्नाटक धर्म स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक,2021' पेश किया। बिल का विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष सिद्दरमैया ने इसे मौलिक अधिकारों का हनन करने वाला और व्यक्तिगत अधिकारों के खिलाफ बताया।

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स्पीकर विशेश्वर हेगड़े कगेरी ने कांग्रेस सदस्यों से अपनी सीट पर बैठने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह बिल अभी पेश किया गया है और इस पर बुधवार को चर्चा की जाएगी और तब विपक्ष के सदस्य अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। सिद्दरमैया ने कहा कि उन लोगों को इस बिल के पेश किए जाने के बारे में जानकारी नहीं थी। इस पर स्पीकर ने कहा कि कानून से अज्ञानता कोई बहाना नहीं है। यह बिल नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार पेश किया गया है।

बिल में क्या है प्रविधान

इस बिल में मतांतरण पर सख्ती से रोक लगाने का प्रविधान किया गया है। मतांतरण कराने के आरोपित को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा देना होगा। वहीं, किसी नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग से किसी के मतांतरण के दोषी तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का भी प्रविधान रखा गया है।

विपक्षी दल और ईसाई नेता कर रहे विरोध

बता दें कि राज्य के विपक्षी दल और ईसाई नेता बिल का विरोध कर रहे हैं। इस बिल के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित होने वाले व्यक्ति को दो महीने पहले जिला आयुक्त के पास आवेदन करने होगा। इसके बाद डीसी उस व्यक्ति के धर्म बदलाव के कारणों की जांच करेंगे। इस बिल को लोगों के धर्म की रक्षा करने के लिए राज्य में लाया जा रहा है। इस बिल से लोगों के जबरदस्ती, लालच और जबरन विवाह से धर्म बदलाव को रोकने के प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही बिल के तहत सभी अनाथालय, वृद्धाश्रम, अस्पताल, शाक्षिक संस्थान और गैर सरकारी संगठन भी जांच के दायरे में शामिल होंगे।

दो पक्षों की राय होना आम बात

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले धर्मांतरण विरोधी विधेयक के लेकर विपक्षी नेताओं के बयानों के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि कुछ कानूनों को लेकर दो पक्षों समर्थक और विरोधी दल की राय होना आम बात है। उन्होंने कहा था कि सरकार को लोगों के हितों को देखते हुए धर्मांतरण विरोधी बिल राज्य में लाना होगा। उन्होंने कहा था कि धर्म परिवर्तन समाज के लिए ठीक नहीं है और आमतौर पर कमजोर लोगों को लालच देकर इसका शिकार बनाया जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी धर्म के लोगों के डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद से ही धर्म परिवर्तन देश के लिए एक बड़ा विषय है।


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