कर्नाटक सरकार ने गोहत्या विरोधी अध्यादेश को दी मंजूरी, राज्यपाल के पास भेजा जाएगा
इस विधेयक को आधिकारिक रूप से कर्नाटक प्रिवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल बिल-2020 नाम दिया गया। इस विधेयक में कर्नाटक में गो हत्या पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए प्रावधान किए गए। गो हत्या उसकी तस्करी गोवंश पर अत्याचार पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
बेंगलुरु, प्रेट्र। कर्नाटक में मंत्रिमंडल ने सोमवार को गो हत्या पर रोक लगाने से संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कर्नाटक में गो हत्या दंडनीय अपराध बन जाएगी। इससे संबंधित विधेयक विधानसभा पारित कर चुकी है लेकिन वह विधान परिषद में लंबित है। इसलिए विलंब न करने की नीयत से राज्य सरकार ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। वैसे कर्नाटक में पशु वधशालाएं लगातार कार्य कर रही हैं और अभी गो मांस पर रोक नहीं है। भैंस का मांस भी परोसा जा रहा है।
राज्यपाल के दस्तखत के बाद आज से प्रभावी होने की उम्मीद
राज्य के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी के अनुसार कर्नाटक में गो हत्या पर रोक लगाने वाला कानून नया नहीं है। हमारे यहां यह दशकों से लागू है। इसके तहत 13 साल तक की गाय की हत्या पर रोक थी। मौजूदा सरकार इसे बढ़ाकर हर उम्र की गाय के लिए लागू कर रही है। भैंस के मामले में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी और उसको मारने के मामले में आयु खत्म नहीं की गई है। गो मांस के सेवन पर भी रोक नहीं लगाई गई है। मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेज दिया गया है। उम्मीद है कि मंगलवार को उसे मंजूरी मिल जाएगी और उसके बाद अधिसूचना जारी हो जाएगी।
गो वध पर रोक लगाने की व्यवस्था कायम करने के साथ ही सरकार गोशाला के निर्माण के लिए भी कार्य कर रही है। इसलिए दूध न देने वाली गाएं अब किसानों के लिए समस्या नहीं रहेंगी। किसानों की ज्यादा उम्र वाली गाय सरकारी गोशाला में रखी जाएगी। राज्य सरकार के लंबित पशु हत्या निरोधक एवं संरक्षण विधेयक में गो हत्या के लिए सात साल कैद की सजा और पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक के कानून में तब्दील होने पर राज्य में गो हत्या पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। कानून बनने तक सरकार का अध्यादेश को लागू रखने का विचार है।