Kargil Vijay Diwas : शहीद सौरभ कालिया के पिता की इच्छा, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अदालत में घसीटे भारत
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से नरेंद्र कालिया ने फोन पर बताया मेरी याचिका को आखिरकार जनवरी 2016 में स्वीकार कर लिया गया था। मामले पर कई बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं हार मान लूंगा।
नई दिल्ली, एजेंसी। लंबे समय से अपने बलिदानी पुत्र कैप्टन सौरभ कालिया को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे नरेंद्र कुमार कालिया को उस दिन की प्रतीक्षा है जब उनके पुत्र को अमानवीय यातनाएं देने के लिए भारत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अदालत (आइसीजे) में घसीटेगा। कैप्टन सौरभ ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया था।
पुत्र को यातनाएं देने के मामले में 2012 में दाखिल की थी सुप्रीम कोर्ट में याचिका
75 वर्षीय सेवानिवृत्त विज्ञानी नरेंद्र कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने मांग की थी कि उनके पुत्र और पांच अन्य सैनिकों के साथ किए गए कृत्य के लिए पाकिस्तान सरकार को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जाने के लिए केंद्र को तत्काल और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं। उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान का बर्बर कृत्य युद्धबंदियों के साथ व्यवहार के जेनेवा समझौते का उल्लंघन है और भारत के साथ पाकिस्तान ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
2016 में हुई स्वीकार, कई बार हो चुकी है सुनवाई
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से नरेंद्र कालिया ने फोन पर बताया, 'मेरी याचिका को आखिरकार जनवरी, 2016 में स्वीकार कर लिया गया था। मामले पर कई बार सुनवाई हो चुकी है, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं हार मान लूंगा। मेरी लड़ाई मेरे पुत्र के लिए और पड़ोसी देश की सेना के कुकृत्यों के विरुद्ध है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने की जरूरत है।'
नरेंद्र कालिया ने कहा, उन्हें लगता है कि यह सुनिश्चित करने का उनका प्रयास कि भारत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अदालत ले जाए, उनके पुत्र के सर्वोच्च बलिदान के प्रति उचित न्याय होगा। उन्होंने कहा, 'कल मैं भी नहीं रहूंगा। मुझे कौन याद करेगा? लेकिन मेरा पुत्र इस महान देश के इतिहास में अनादि काल तक रहेगा। कभी-कभी मैं खिन्न हो जाता हूं, जब मुझे याद आता है कि मेरा पुत्र और उसकी टीम ने क्या सहा होगा और उसके दोषी आजाद घूम रहे हैं।'
कैप्टन सौरभ के पिता ने कहा कि पाकिस्तान ने उन्हें जिंदा पकड़ने के बाद भारत को उनके युद्धबंदी के दर्जे के बारे में सूचित नहीं करके सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया था। उन्होंने कहा, 'वास्तव में मेरे पुत्र ने 22 दिनों तक दुश्मन की गिरफ्त में निहत्थे रहकर असली कारगिल की लड़ाई लड़ी थी। उसके अतुलनीय बलिदान ने पूरे सोए हुए देश को जगाया, देश में देशभक्ति की लौ जलाई और सभी सशस्त्र बलों पर प्रेरणादायी प्रभाव डाला।' मालूम हो कि मंगलवार को ही पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया गया है।