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मुंबई आग: चश्मदीद बोला- सिर के ऊपर थी आग, एग्जिट गेट पर खड़े थे नशे में धुत लोग

मुंबई अग्निकांड के चश्मदीदों ने बताया कि लोग नशे में थे, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि भागे कैसे?

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 12:28 PM (IST)
मुंबई आग: चश्मदीद बोला- सिर के ऊपर थी आग, एग्जिट गेट पर खड़े थे नशे में धुत लोग
मुंबई आग: चश्मदीद बोला- सिर के ऊपर थी आग, एग्जिट गेट पर खड़े थे नशे में धुत लोग

मुंबई (मिड-डे)। मुंबई के पब में लगी आग की लपटों ने पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया। ये हादसा इतना खौफनाक था कि इसके जिक्र भर से ही रौंगटे खड़े हो जा रहे हैं। पब में जश्न के माहौल के बीच हर कोई शराब के नशे में धुत था। भीड़ के बड़े पैमाने पर नशे में होने के कारण आग लगते ही अफरातफरी मच गई, कोई कुछ समझने और करने की हालत में नहीं था। उसी पब पार्टी में मौजूद एक पीड़ित ने हादसे की आपबीती सुनाते हुए यह कहा।

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दादर के कारोबारी प्रतीक ठाकुर (28), जो शुक्रवार रात 1 बजे करीब अपनी पत्नी और दोस्तों के साथ उसी पब में मौजूद थे। उनका मानना है कि हुक्के की वजह से पब में आग लगी। इस हादसे में प्रतीक ठाकुर और कुछ अन्य घायलों का भाटिया अस्पताल में इलाज चल रहा है।

'कोई भी होश में नहीं था' 
भाटिया अस्पताल में भर्ती कारोबारी प्रतीक ठाकुर ने बताया, 'लोग शराब के नशे में थे, पब्लिक को होश ही नहीं था। उन्हें अहसास ही नहीं हुआ कि आग इतनी जल्दी फैल जाएगी। मैंने चिल्लाना शुरू किया कि पब की छत पर लगी प्लास्टिक के कारण मिनटों में पूरा होटल जलकर खाक हो जाएगा। लेकिन जब नशे की हालात में वहां मौजूद लोगों ने भागने की कोशिश की, तो भगदड़ मच गई। हर कोई अनजान था, किसी को भी पता नहीं था कि बाहर निकलना कैसे है। सामने बैरिकेट जैसा कुछ लगा हुआ था और लोग उसके ऊपर से कूदने की बजाय वहां खड़े रहे और ऐसे वहां भीड़ बढ़ती चली गई। वे इतने नशे में थे कि उन्हें पता ही नहीं था कि कैसे भागना है।'

 

प्रतीक ने रेस्तरां में आग सुरक्षा उपायों की कमी पर भी सवाल उठाए। आग की लपटों की गवाह उनकी पत्नी टोरेन ने बताया कि वहां आग से खुद को बचाने जैसी कोई भी चीज मौजूद नहीं थी। प्रतीक ने आगे बताया, 'बैरिकेट के पास 10-15 लोग खड़े थे, मैं उनके ऊपर से कूद गया। तभी मुझे अहसास हुआ कि टोरेन मेरे पीछे नहीं हैं, तो मैं वापस अंदर चला गया। जिसकी वजह से मुझे ज्यादा चोटें आईं, क्योंकि छत से पिघल रहा प्लास्टिक लोगों के ऊपर गिर रहा था। जिस वक्त आग लगी उस वक्त टोरेन का भाई अन्य लोगों के साथ बाथरूम में फंसा था। बाथरूम के बाहर मौजूद सुरक्षा गार्ड लोगों को बाहर नहीं आने दे रहा था, यह कहकर कि आग अंदर फैल जाएगी, लेकिन किसी तरह एक डीजे दरवाजा खोलकर भागने में कामयाब रहा और फिर लोकेश भी तमाम कोशिशों के बाद वहां से बाहर निकल पाया। यदि वे और ज्यादा देर वहां रहते तो वे भी मर जाते। जब मैंने टोरेन को अंदर भी नहीं देखा, मैं बाहर आ गया तो देखा कि लोकेश और टोरेन साथ हैं और सुरक्षित भी।'

'मिनटों में फैली आग'
मुंबई आग में घायल केदार गन्धा (46) ने बताया कि पब की छत को ज्वलनशील पदार्थों से बनाया गया था। आग ने उसे घेर लिया और कुछ मिनटों के भीतर आग हमारे चारों तरफ थी। कोई भी वहां से भाग नहीं सकता था। पब की छत से नीचे गिर रही पिघलती हुई प्लास्टिक ने लोगों के बीच अफरातफरी पैदा कर दी। भीड़ ने मेरी पत्नी को पीछे छोड़ दिया और मैं उसे बाहर खींचने के लिए वापस भीड़ में घुस गया, जिसके कारण मैं जल गया। मेरी पत्नी को भी हाथ और पैर में चोटें आईं हैं। समस्या का कोई संकेत नहीं था। अचानक से आग लगी और फैलती चली गई और लोग केवल देखते रह गए। हर किसी ने अपनी जान बचाकर बाहर निकलने की कोशिश की। एंट्री वाले दरवाजे से बाहर निकलने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई कि लोग वहीं फंस गए।


अस्पताल का बयान
भाटिया अस्पताल के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक शुक्रवार को सुबह 3 बजे आग्निकांड में घायल 15 लोगों को यहां भर्ती कराया गया। जिनमें से एक को मामूली चोटें आईं थीं, जिसे कुछ घंटों के भीतर ही छुट्टी दे दी गई। 15-30 फीसद जले तीन एनआरआई (दो पुरुष और एक महिला) को बर्निंग यूनिट में भर्ती कराया गया। शेष 11 मरीजों की हालात अब स्थिर है और 2-3 दिन में उन्हें भी अस्पताल से छुट्टी मिल जाने की उम्मीद है। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा कि पब की छत से पिघलती हुई प्लास्टिक गिरने की वजह से ज्यादातर लोगों को ऊपरी धड़, सिर, कंधों और हाथों में जलने से चोटें आईं हैं।

चश्मदीदों ने सुनाई आपबीती
महेश सबले जिन्होंने अधिकारियों को सूचना दी। उन्होंने बताया, 'रेस्तरां से बाहर भाग रहे मेहमान कंफ्यूजन में थे, उनके पास कोई सुराग नहीं था कि वे बाहर निकले कहां से। कम से कम 200 लोग इधर-उधर भाग रहे थे। लोग एक-दूसरे पर चढ़े जा रहे थे, बार-बार गिर रहे थे। पब के कर्मचारियों को तो कहीं देखा भी नहीं गया। जब मैं लोगों की मदद करने के लिए पब के अंदर घुसा तो मुझे अपनी शर्ट उतार कर नाक पर बाधनी पड़ी, क्योंकि पब में बहुत घुआं भर चुका था। जिसके बाद हम कुछ लोगों को बाहर निकालने में सफल हो पाए।

सूरज गिरि, जो पास की इमारत में काम करती है उसने बताया कि रेरेस्टां के फायर सिलेंडर ग्राउंड फ्लोर पर रखे थे। जैसे ही आग लगना शुरू हुई, पब की छत उस कैबिनेट के ठीक ऊपर गिरने लगी, जिसमें सिलेंडर जमा हुए रखे थे। मैंने कुछ अन्य लोगों की मदद से वहां फंसे लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाना शुरू कर दिया। अगर कैबिनेट पर कोई और जलती वस्तु गिरती तो शायद हादसा और भी भयंकर हो सकता था।'

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