Move to Jagran APP

अयोध्या राम जन्मभूमि पर फैसला देने वाले जस्टिस एसए बोबडे आज होंगे सेवानिवृत

जस्टिस एसए बोबडे 12 अप्रैल 2013 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 18 नवंबर 2019 को भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर मामले के अलावा भी कई महत्वपूर्ण फैसले जस्टिस बोबडे ने दिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 07:41 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 07:41 AM (IST)
अयोध्या राम जन्मभूमि पर फैसला देने वाले जस्टिस एसए बोबडे आज होंगे सेवानिवृत
न्यायाधीश एसए बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत हो जाएंगे।

नई दिल्ली, माला दीक्षित। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला देने वाली पीठ में शामिल न्यायाधीश एसए बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत हो जाएंगे। राम मंदिर मामले मे फैसला सुनाने वाले पांच न्यायाधीशों में से जस्टिस बोबडे दूसरे न्यायाधीश हैं, जो सेवानिवृत हो रहे हैं। इससे पहले जस्टिस रंजन गोगोई सेवानिवृत हुए थे। जस्टिस बोबडे भारत के 47वें प्रधान न्यायाधीश हैं जो एक साल पांच महीने का प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल पूरा करके 23 अप्रैल को सेवानिवृत होंगे। 

loksabha election banner

प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बोबडे का होगा अंतिम कार्यदिवस 

उनके बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश एनवी रमना 24 अप्रैल को भारत के 48वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ लेंगे। सामान्य तौर पर प्रधान न्यायाधीश का विदाई समारोह एक विशिष्ट अवसर होता है जिसमें सभी जाने माने कानूनविद और न्यायाधीश भाग लेते हैं लेकिन इस समय देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। कोरोना महामारी की वजह से सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों की सुनवाई भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही है। ऐसे में जस्टिस बोबडे का विदाई समारोह भी आनलाइन यानी वर्चुअल होने की संभावना है। 

न्यायपालिका में ऐसा रहा जस्टिस एसए बोबडे का सफर 

न्यायाधीश के रूप में जस्टिस बोबडे का सफर 29 मार्च 2000 को शुरू हुआ जब वह बांबे हाईकोर्ट में एडीशनल जज नियुक्त हुए। 12 अप्रैल 2013 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 18 नवंबर 2019 को भारत के प्रधान न्यायाधीश बने। अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर मामले के अलावा भी कई महत्वपूर्ण फैसले जस्टिस बोबडे ने दिए। निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ में भी वह शामिल थे। महात्मा गांधी की हत्या के मामले की दोबारा जांच करने की मांग वाली याचिका भी जस्टिस बोबडे की पीठ ने खारिज की थी।

जस्टिस गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाली तीन न्यायाधीशों की इन हाउस जांच कमेटी में भी जस्टिस बोबडे शामिल थे। कमेटी ने जस्टिस गोगोई को क्लीनचिट दी थी। हालांकि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला और सीएए की वैधानिकता का मामला कुछ ऐसे मुद्दे थे जो जस्टिस बोबडे के कार्यकाल में लंबित ही रहे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.