CJI रंजन गोगोई के पास न कार, न घर और न कोई कर्ज, जानिए उनके बारे में खास बातें
रंजन गोगोई के पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका एक किस्सा काफी रोचक है।
नई दिल्ली(जेएनएन)। जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के 46वें चीफ जस्टिस के रूप में बुधवार को कार्यभार संभाल लिया। पूर्वोत्तर से देश के चीफ जस्टिस बनने वाले वह पहले न्यायाधीश होंगे। जस्टिस गोगोई का मुख्य न्यायाधीश के तौर पर करीब 14 महीने का कार्यकाल है, वह 17 नवंबर 2019 तक इस पद पर रहेंगे।
18 नवंबर 1954 को उनका जन्म हुआ था। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर के रंजन गोगोई 1978 में बार से जुड़े और गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 28 फरवरी, 2001 को रंजन गोगोई को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उसके 10 साल बाद 12 फरवरी 2011 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बने।
पिता ने सिक्का उछाल कर किया भविष्य का फैसला
रंजन गोगोई के पिता केशब चंद्र गोगोई असम के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका एक किस्सा काफी रोचक है। जब रंजन गोगोई और उनके बड़े भाई स्कूल जाने लायक हुए, तो उनके पिता ने कहा कि उन दोनों में से कोई एक ही गोलपाड़ा के सैनिक स्कूल में दाखिला ले सकता है।
वह कौन होगा, इसका फैसला करने के लिए सिक्का उछाला गया। इसमें उनके बड़े भाई अंजन विजयी रहे और आर्मी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद वह एयर मार्शल बने।
रंजन की ऐसी रही शिक्षा
उसके बाद रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बॉस्को स्कूल से पढ़ाई की और बाद में दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से इतिहास में डिग्री ली। पिता की इच्छा का सम्मान करते हुए संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठे और सफल रहे। मगर, उन्होंने अपने पिता से बेहद ईमानदारी से कहा कि वह कानून की डिग्री लेकर इस दिशा में अपना करियर बनाना चाहते हैं।
पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू से मंगवाई थी मांफी
हत्या के एक मामले में उनके फैसले पर सवाल उठाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू को उन्होंने अवमानना नोटिस जारी कर कोर्ट में तलब कर लिया था। दरअसल, सौम्या मर्डर केस में रिटायर्ड जस्टिस काटजू ने एक ब्लॉग लिखा था।
जस्टिस काटजू ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में सौम्या दुष्कर्म और हत्या मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले की निंदा की थी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दुष्कर्म का दोषी करार दिया, लेकिन हत्या का नहीं। यह फैसला जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने फेसबुक के पोस्ट के लिए माफी भी मांगी थी।
30 लाख रुपए ही है संपत्ति
जस्टिस रंजन गोगोई के पास सोने की एक ज्वैलरी भी नहीं है। उनकी पत्नी के पास भी सिर्फ उनकी शादी के समय पर उनके परिजनों से मिली ज्वैलरी ही है। जस्टिस रंजन गोगोई के पास अपना खुद का कोई वाहन भी नहीं है। इसके साथ ही जस्टिस गोगोई का कोई लोन, कर्ज या कोई बिल भी बकाया नहीं है। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की तरह जस्टिस गोगोई को स्टॉक मार्केट में भी कोई दिलचस्पी नहीं है।
नए सीजेआई जस्टिस गोगोई और उनकी पत्नी के पास कुल 30 लाख रुपए की संपत्ति हैं। साल 1999 में जस्टिस गोगोई ने गुवाहटी के बेलटोला इलाके में एक प्लॉट खरीदा था, जिसे उन्होंने 65 लाख रुपए में बेच दिया था। अपनी संपत्ति के हलफनामे में जस्टिस गोगोई ने उस प्लॉट के खरीददार के नाम का जिक्र भी किया है।
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज का वेतन कुछ समय पहले तक एक लाख रुपए महीना ही होता था। जिसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए कर दिया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट जज को कई अन्य भत्ते और आवास आदि की सुविधा मिलती है।