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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने कहा- लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका सशस्त्र बलों या राज्यों की संस्थाओं की आलोचना को राष्ट्र विरोधी नहीं ठहराया जा सकता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 10:04 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 10:04 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने कहा- लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने कहा- लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक गुप्ता ने सोमवार को कहा कि लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है। विरोध को दबाने का लोकतंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, न्यायपालिका, नौकरशाही और सशस्त्र बलों की आलोचना को राष्ट्र विरोधी नहीं करार दिया जा सकता।

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जस्टिस गुप्ता ने कहा- संविधान ने हमें विरोध का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अधिकार दिया

जस्टिस गुप्ता सोमवार को यहां सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से 'लोकतंत्र और असहमति' विषय पर आयोजित परिचर्चा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान ने हमें विरोध का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अधिकार दिया है। इसमें आलोचना करने का अधिकार भी शामिल है। असहमति के बिना लोकतंत्र हो ही नहीं सकता है।

जब तक कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन नहीं करता तबतक उसे अपने विश्वास का प्रसार करने का हक 

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जब तक कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन नहीं करता या हिंसा नहीं भड़काता, तब तक उसे सरकार के साथ ही हर किसी से असहमति जताने अपने विश्वास का प्रसार करने का हक है।

जस्टिस गुप्ता ने कहा- मैं न्यायपालिका की आलोचना का स्वागत करता हूं

उन्होंने कहा, 'अगर उच्च न्यायालयों के जज उन्हें मिलने वाले मानहानि के सभी मामलों पर गौर करने लगें तो उनके पास मानहानि के मामलों की सुनवाई के अलावा दूसरा कोई काम ही नहीं बचेगा। वास्तव में, मैं न्यायपालिका की आलोचना का स्वागत करता हूं, क्योंकि अगर आलोचना होगी तभी सुधार भी होगा।'

सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले ऐसे हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है

उन्होंने कहा कि आत्मनिरीक्षण भी जरूरी है, क्योंकि 'जब हम आत्मनिरीक्षण करेंगे, हम पाएंगे कि हमारे कई ऐसे फैसले हैं, जिनमें सुधार की जरूरत है।'

सरकार, न्यायपालिका, नौकरशाही और सशस्त्र बलों की आलोचना राष्ट्र विरोधी नहीं- जज

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, सशस्त्र बलों या राज्यों की संस्थाओं की आलोचना को राष्ट्र विरोधी नहीं ठहराया जा सकता है। अगर विरोध को दबाते हैं तो लोकतंत्र की जगह पुलिस राज्य बन जाते हैं, जिसकी कल्पना हमारे देश के संस्थापकों ने कभी नहीं की थी।

संविधान ने हर नागरिक को सरकार से जवाबदेही मांगने का हक दिया

छह मई को सेवानिवृत्त होने जा रहे जस्टिस गुप्ता ने कहा, 'संविधान ने हर नागरिक को सरकार से सवाल करने, चुनौती देने, सत्यापन करने और जवाबदेही मांगने का हक दिया है।' उन्होंने आगे कहा, 'इन अधिकारों को कभी भी छीना नहीं जाना चाहिए। अन्यथा हम एक मरणासन्न समाज बन जाएंगे, जो आगे विकास करने में सक्षम नहीं होगा।'


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