सुप्रीम कोर्ट में छह साल न्यायाधीश रहने के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा कल होंगे सेवानिवृत्त
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल कुछ बेहद अहम फैसलों से जुड़ा रहा है जिनमें प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का मामला शामिल है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। 'शिवजी की कृपा से यह आखिरी जजमेंट भी हो गया' यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में करीब छह साल न्यायाधीश रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने मंगलवार को अपने कार्यकाल के आखिरी मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। वह बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के विदाई समारोह के आमंत्रण को अस्वीकारा
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने उन्हें विदाई समारोह के लिए आमंत्रित किया, लेकिन कोरोना महामारी का हवाला और आमंत्रण के प्रति आभार जताकर उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने एससीबीए को आश्वस्त किया कि जब भी स्थितियां सुधरेंगी तो वह अपना सम्मान व्यक्त करने बार जरूर आएंगे।
जस्टिस अरुण मिश्रा 2014 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे
बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश रहे जस्टिस एचसी मिश्रा के पुत्र जस्टिस अरुण मिश्रा को 2014 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था।
जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल कुछ अहम फैसलों से जुड़ा रहा
जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के प्रबंधन और मंदिर के ज्योतिर्लिग के संरक्षण मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मिश्रा का कार्यकाल कुछ बेहद अहम फैसलों से जुड़ा रहा है जिनमें एससी-एसटी संशोधन अधिनियम की वैधता और अधिवक्ता-कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना के मामले शामिल हैं। मंगलवार सुबह जस्टिस मिश्रा ने टेलीकॉम कंपनियों के लिए एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू) के मसले पर भी फैसला सुनाया और उन्हें भुगतान के लिए दस साल का समय प्रदान कर दिया।