Move to Jagran APP

तलवार दंपति को सजा देने वाले पूर्व सीबीआई जज ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

जज श्याम लाल ने आरुषि हत्याकांड में हाईकोर्ट के फैसले में अपने खिलाफ की गई टिप्पणियां हटाने की मांग की है

By Kishor JoshiEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 08:26 PM (IST)
तलवार दंपति को सजा देने वाले पूर्व सीबीआई जज ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार
तलवार दंपति को सजा देने वाले पूर्व सीबीआई जज ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजेश और नूपुर तलवार को उनकी ही बेटी आरुषि की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाने वाले गाजियाबाद के पूर्व विशेष सीबीआई जज श्याम लाल गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। पूर्व जज ने आरुषि हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट के फैसले में उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को निरस्त करने की मांग की है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस याचिका पर नोटिस जारी किया।

loksabha election banner

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने तलवार दंपति को हत्या और सबूतों को नष्ट करने के जुर्म में दोषी ठहराते हुए नवंबर 2013 में उम्रकैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति की अपील स्वीकार करते हुए गत वर्ष 12 अक्टूबर को मामले से बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही फैसले में सीबीआई जज श्याम लाल पर प्रतिकूल टिप्पणियां भी की थीं। श्याम लाल ने सुप्रीम कोर्ट से टिप्पणियां निरस्त करने की मांग की है।

शुक्रवार को पूर्व जज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एसआर सिंह ने कोर्ट से कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियों से श्याम लाल की निष्पक्ष जज की छवि को धक्का लगा है। उससे उनकी छवि खराब हुई है। याचिका में श्याम लाल ने कहा है कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है और फैसला दिया है। कुछ खास मामले गिनाए हैं जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार बनाम संजय जिसमें अभियुक्त को मौत की सजा सुनाई गई थी और जिसे बाद में हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया।

सीबीआई बनाम नीरा यादव मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को भ्रष्टाचार में दोषी ठहराते हुए सजा दी गई थी। इसके अलावा निठारी कांड के सुरेन्द्र कोली को भी मौत की सजा दी थी। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा तलवार दंपति की याचिका स्वीकार करते हुए फैसले में उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां किया जाना कहां तक उचित है।

इस बारे में संविधानपीठ के फैसले आलोक कुमार राय बनाम डाक्टर एसएन शर्मा का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियां पूरी तरह गैर जरूरी हैं उन्हें निरस्त किया जाए। हाईकोर्ट के मुख्य फैसले में उन पर टिप्पणियां नहीं हैं बल्कि मुख्य फैसले से सहमति जताने वाले पीठ के दूसरे जज अरविंद कुमार मिश्रा के अलग से दिये गए फैसले में उन पर प्रतिकूल टिप्पणियां की गई हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.