अबूझमाड़ से बॉलीवुड का सफर, अब कोरोना काल में खेती कर रहे दिनेश, दिग्गज अभिनेताओं के साथ कर चुके हैं काम
कोरोना संकट ने लोगों को जिंदगी के असली फलसफे से रूबरू कराया है। जिंदगी में एक लंबा सफर तय करने के बाद लोगों को इसकी वजह से वहीं वापसी करनी पड़ी जहां से सफर शुरू हुआ था। ऐसी ही कहानी है बस्तर के अबूझमाड़ के रहने वाले दिनेश नाग की...
हिमांशु शर्मा, रायपुर। कोरोना संकट के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौर ने लोगों को जिंदगी के असली फलसफे से रूबरू कराया है। जिंदगी में एक लंबा सफर तय करने के बाद लोगों को इसकी वजह से वहीं वापसी करनी पड़ी जहां से सफर शुरू हुआ था। लोग जो दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए गए थे उन्हें भी घर वापसी करनी पड़ी और अब वे स्थानीय स्तर पर रोजगार तलाश रहे हैं। यही हाल मनोरंजन उद्योग से जुड़े लोगों का भी है।
कलाकारों को लौटना पड़ा घर
कोरोना संकट का व्यापक असर मुंबई जैसे महानगरों में देखने को मिला। फिल्म और टेलीविजन उद्योग में काम करने वाले बहुत से कलाकारों को घरों को लौटना पड़ा। मौजूदा वक्त में सिनेमा और टेलीविजन उद्योग उबरने की कोशिश कर रहा है और कलाकार अपने घरों पर फुर्सत के पल बिता रहे हैं। इस दौर को कुछ लोग त्रासद मानते हैं तो कुछ लोग इसे सकारात्मक नजरिए से अवसरों के दौर के रूप में भी देख रहे हैं।
ऐसा नहीं लगा कि एक बुरा दौर लाएगा कोरोना
देश के पिछड़े इलाकों में से एक बस्तर के अबूझमाड़ के रहने वाले दिनेश नाग ने इस बीहड़ से फिल्मी दुनिया का सफर तय किया था। अक्षय कुमार जैसे बड़े अभिनेता के साथ उन्होंने स्क्रीन साझा की और इन दिनों अपने घर पर खेती-बाड़ी का काम कर रहे हैं। दिनेश बताते हैं कि 10 मार्च तक कोरोना का असर मुंबई में नजर आने लगा था लेकिन बहुत से लोगों को ऐसा नहीं लगा कि आने वाले दिनों यह एक बुरा दौर लेकर आएगा।
एक अलग तरह की शांति का अहसास
दिनेश ने कहा कि मुंबई के हालात को देखते हुए मैं 15 मार्च को नारायणपुर अपने घर आ गया। ठीक इसके सात दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया। तभी से मैं गांव में ही रह रहा हूं। मुंबई में पिछले 5-7 वर्षों के दौरान बेतहाशा भीड़-भाड़ देखने के बाद अब गांव में आकर एक अलग तरह की शांति का अहसास हो रहा है। दिनेश बताते हैं कि परिवार खेती किसानी से जुड़ा है। यह समय भी खेती किसानी का है इसलिए मैं खेतों में काम कर रहा हूं।
साल 2006 में मुंबई जाने का मिला मौका
दिनेश कहते हैं कि मुझे फिल्मों का शौक बचपन से था। मैं एक अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहता था। साल 2001 में दिनेश ने भिलाई में इप्टा के साथ जुड़कर थियेटर की शुरूआत की। इसके बाद रायपुर आए और कोसल नाट्य अकादमी में अभिनय की बारीकियां सीखीं। यहां राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कुछ निर्देशक दिनेश की अभिनय क्षमता से प्रभावित हुए और उन्हें दिल्ली में भी थियेटर शो में काम करने का मौका दिया। साल 2006 में उन्हें मुंबई जाने का अवसर मिला।
...और बढ़ता गया आत्मविश्वास
दिनेश ने बताया कि मुझे कुछ फिल्मों को छत्तीसगढ़ी भाषा में डब करने के लिए डबिंग आर्टिस्ट के रूप में काम करना था। एक साल तक मुंबई में काम करने बाद वापस घर गए और फिर दोबारा मुंबई गए। यहां अंधेरी में इनफिनिटी मॉल में भोजपुरी फिल्म के नवोदित निर्देशक से दिनेश की मुलाकात हुई और उन्होंने भोजपुरी फिल्म से अपने करियर की शुरूआत की। इस फिल्म में काम करने के बाद दिनेश में आत्मविश्वास बढ़ा।
ऐसे शुरू हुआ बॉलीवुड का सफर
इसी दौरान रघुबीर यादव के साथ एक एड फिल्म और नीरज वोरा द्वारा निर्देशित गोविंदा की एक फिल्म में उन्हें काम का मौका मिला। हालांकि यह फिल्म बाद में डब्बा बंद हो गई। दिनेश इससे थोड़ा निराश हुए लेकिन इसी बीच निर्देशक सुभाष कपूर से उनकी मुलाकात हुई। सुभाष को फंस गया रे ओबामा फिल्म के निर्देशन का काम मिला और दिनेश को इस फिल्म में अच्छी भूमिका मिली। यहां से दिनेश का बॉलीवुड सफर शुरू हुआ।
इन फिल्मों में किया काम
दिनेश ने बताया कि उन्होंने सुशांत के साथ इडियट बॉक्स, अक्षय कुमार के साथ जॉली एलएलबी-2 और न्यूटन जैसी फिल्मों में काम किया। मैंने 'इस प्यार को क्या नाम दूं' और कॉमेडी शो 'अकबर बीरबल' में भी काम किया। हाल ही में मैंने फिल्म 'चमन बहार' में डायलॉग राइटिंग का काम किया है।