अफगानिस्तान में पत्रकारों और सिविल सोसायटी के सदस्यों की हत्या, भारत ने जताई चिंता
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा पर उन्होंने अफगान नेताओं के साथ द्विपक्षीय संबंधों और शांति प्रक्रिया पर की चर्चा। अफगान सरकार और तालिबान 19 साल से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए पहली बार सीधे बात कर रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत ने गुरुवार को अफगानिस्तान में पत्रकारों और सिविल सोसायटी के सदस्यों की हत्या को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास करार दिया और तत्काल संघर्ष विराम की मांग की। अफगानिस्तान में हिंसा पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के लोगों की विकास यात्रा में उनके साथ खड़ा है। वहां की ¨हसक घटनाएं शांति प्रक्रिया की भावना के विपरीत हैं और इन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की दो दिवसीय अफगानिस्तान यात्रा के बारे में पूछे जाने पर श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अफगान नेताओं के साथ उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों और शांति प्रक्रिया पर चर्चा की। डोभाल ने अपनी यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया के मुख्य वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब, विदेश मंत्री मुहम्मद हनीफ अतमार और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी बातचीत की।
गौरतलब है कि अफगान सरकार और तालिबान 19 साल से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए पहली बार सीधे बात कर रहे हैं। अमेरिका द्वारा फरवरी 2020 में तालिबान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से भारत उभरती राजनीतिक स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को बढ़ावा देने में भारत, अमेरिका के साझा हित
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने में भारत एवं अमेरिका के साझा हित हैं। साथ मिलकर काम करने की दोनों देशों की क्षमता का क्षेत्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान में एक सकारात्मक प्रभाव है। श्रीवास्तव ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के हाल में सार्वजनिक किए गए दस्तावेज से संबंधित सवालों के जवाब में यह बात कही। दस्तावेज में कहा गया है कि समान सोच वाले देशों के साथ मजबूत भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ शक्ति संतुलन के रूप में काम करेगा।