झारखंड की सोरेन सरकार को विरासत में मिली खाली तिजोरी, राजकोष की स्थिति चिंताजनक
झारखंड का खजाना खाली है। राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सरकार को ठोस प्रयास करने होंगे ताकि विकास और कल्याण के काम तेजी से हो सकें।
रांची। झारखंड में गठित मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नई सरकार को खजाना खाली मिला है, राजकोष की स्थिति चिंताजनक है। पहली बार किसी सरकार ने इस बात को खुलकर स्वीकारा है और वित्तीय स्थिति पर श्वेतपत्र लाने की बात कही है। पारदर्शिता के लिहाज से इसे अच्छा कदम माना जा सकता है, क्योंकि जनता को यह जानने का पूरा हक है कि राज्य की वास्तविक आर्थिक स्थिति क्या है। श्वेतपत्र एक अधिकृत दस्तावेज होता है, जिस पर सरकार या कोई संस्था अपनी नीति, विचारों और जानकारी को जनता के साथ साझा करती है।
झारखंड एक पिछड़ा राज्य है। राज्य गठन के साथ ही इसकी आर्थिक स्थिति कभी भी सु़दृढ़ नहीं रही है, लेकिन अब तक की सरकारों ने इससे मुंह मोड़ने का काम किया है। आर्थिक सुधारों से ज्यादा लोक लुभावने वादों पर अधिक जोर दिया गया। ऐसे में नई सरकार के समक्ष राज्य की वित्तीय हालत सुधारने की भी चुनौती है। इसके लिए जनता को विश्वास में लेते हुए आर्थिक सुधारों के ठोस प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री ने इस बाबत संकेत भी दिए हैं। उन्होंने वाणिज्य कर और खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाते हुए 15 हजार करोड़ की अतिरिक्त राजस्व उगाही के संकेत दिए हैं। सरकार को सर्वाधिक राजस्व इन्हीं दोनों विभागों से आता है, लेकिन पिछले कई वर्षो से ये दोनों विभाग राजस्व उगाही के तय लक्ष्य के आसपास भी नहीं पहुंच सके हैं।
उधर न तो जीएसटी के लीकेज बंद हो रहे हैं और न ही इससे होने वाली आमद में कोई सुधार हो रहा है। जीएसटी के घाटे की भरपाई के लिए हर माह केंद्र सरकार का मुंह देखना पड़ता है। यह मियाद भी वर्ष 2022 में खत्म हो जाएगी। ऐसी स्थिति पैदा न हो, इसके लिए सरकार को अभी से ठोस कदम उठाने होंगे। राज्य की आर्थिक हालत पर समय-समय पर सीएजी ने भी सरकार को आईना दिखाया है, लेकिन इसकी अब तक अनदेखी की गई है। राजस्व स्रोत के आंतरिक संसाधनों को बढ़ाने के बजाय हम केंद्र सरकार का मुंह ताकते रहे हैं। यह अच्छी बात है कि वर्तमान सरकार ने कामकाज संभालने के साथ ही इस ओर ध्यान दिया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य सरकार अपने आंतरिक राजस्व में वृद्धि को लेकर ठोस कदम उठाएगी।
वैसे भी झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से हर तरह से लैस प्रदेश है। वहां कोयले और दूसरे खनिज संसाधनों की भरमार है। ऐसा राज्य पिछड़ा रहे यह बात बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सरकार को कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि ये संसाधन उसके काम आ सकें। इससे न सिर्फ राज्य सरकार का खजाना भरेगा, बल्कि इस पैसे से वह जन कल्याण की अपनी तमाम योजनाएं भी सुचारु रूप से चला सकेगी। अभी इस तरह की योजनाओं के बाधित होने के पीछे नौकरशाही, सरकरी लचरता के साथ-साथ पूंजी की कमी मुख्य कारण होते हैं।
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